CAGED (This poem represents an individual who has great ambition and can do anything to achieve it,...
Arts
What’s our fault? (This poem highlights the situation of innocent children across the world from history to...
(This poem talks about the journey of a young woman and the social pressure and questions that...
In the dynamic and diverse landscape of India, the UPSC Civil Services Examination (CSE) stands as an...
Competitive exams play a pivotal role in shaping the careers of students by providing a platform for...
विश्व शांति : एक चुनौती आज समुचा विश्व असंतोष, अवसाद, पलायन और पर्यावरणीय असंतुलन की वजह से...
How does the World Celebrate? Celebrations! Celebrations! Celebrations! They are those minutes of leisure, ticks of relief...
जैसे ही मामा ने फोन पर खबर दी हम तुरंत नज्जो (नानी को सब इसी नाम से...
काश तब कैमरा होता पहले न जाने हम दिन में अनगिनत बार हंसते थे। खुश हम बेवजह भी रहते थे, थोड़े से में खुश रहते थे। नाराज़गी और दुश्मनी को कभी न निगलते थे। काश तब खुश रहने के कारणों को सहजने कैमरा होता। चारपाई जब आंगन में सजती थी ,बत्तीगुल होने पर पड़ोसियों की आंगन में महफिल सजती थी। बच्चो की धमाचौकड़ी मचती थी और हंसी ठिठोली खुब होती थी। काश तब इन फुर्सत के पलों को सहजने कैमरा होता। चूल्हे में सिकी रोटियां घी में डुबोकर; बाड़ी से टूटी ताजी सब्जियों की तरकारी और दाल संग चाव से खाते, चूल्हे के आस पास बैठकर न जाने कितनी ही यादें हम बनाते। रसोई में बीमारी का इलाज और खुशियों का मसाला होता जिसे हम रोज खाने में मिलाते । काश तब रसोई की यादों को सहजने के लिए कैमरा होता। बच्चे कभी इस घर तो उस घर। संयुक्त परिवार में पता नही बच्चे कब बड़े हो जाते थे? नहलाता कोई ,खिलाता कोई और पढ़ाता कोई। प्यार और परवाह सब जताते बच्चों को अकेलेपन से बचाकर खूब प्यार लुटाते,लड़ाई झगड़े बड़े बखूबी सुलझाते। बच्चे बड़े होकर यही रीत बखूबी निभाते। काश तब परवरिश की यादें सहजने कैमरा होता।...
Bits and Bytes of Laughter In a world of Wi-Fi and endless memes,Where smartphones reign and disrupt...