हर व्यक्ति का

By: SUSHIL SHARMA

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अपना एक दर्शन होता है जिसको वह अपने विभिन्न दृष्टिकोण से देखता है कोई सकारात्मक दर्शन की प्रमाणिकता का पीछा करता है तो कोई नाकारात्मकता की। सफर करना भी एक बेहद रो

मांचक दर्शन होता है मुझे अक्सर लोग पूछा करते है की सफर तो सिर्फ एक निश्चित गंतव्य से निकलकर अपने निश्चित गंतव्य तक पहुंचना मात्र है तो इसमें रोमांचक की झलक कैसे होती है।

मैं अपने सफर की यात्रा का विवरण देता हुआ रोमांचक दर्शन की व्याख्या से समझाने की कोशिश करता हु, आज की भागदौड़ जिंदगी मैं व्यक्ति अपनी रूचि खोता जा रहा है इसका कारण यह नहीं की वह कोई काम कर रहा है या सिर्फ खाली बैठा है यह सही बात है की व्यक्ति को अपने समय के अनुरूप व्यस्तता अपनानी चाइये लेकिन अपने व्यस्तता के वावजूद रोमांचक रहना अपने आप मैं जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है चाहे वह किसी उत्साह दौर से गुजर रहा हो या किसी पीड़ा से क्योंकि ये दोनो जीवन मे कभी भी स्थाई नहीं है बात सिर्फ यह है की अपने कार्य, समय मे रोमांचक कैसे देखे?

मुझे अकसर यात्राएं करना बेहद पसंद है मैं दुनिया और मेरे आस पास के व्यक्तियो और समाज को अपने अलग दर्शन से देखता और समझता हु मैं जब भी यात्राएं करता हु तो अक्सर बस से यात्रा करना पसंद करता हु इसके कई कारण हो सकते है

मैं एक दिन अपने घर से दूर कही जाने के लिए निकला तो मेने ट्रैन की जगह बस यात्रा को चुना मुझे खिड़की वाली सीट मिली जिससे मैं बहुत खुश हुआ और खिड़की से बाहर बाजार दर्शन कर रहा था तभी अचानक बस का भरना शुरू हुआ और देखते ही देखते पूरी बस भर गयी और मेरी यात्रा शुरू हुई मैं बाहर का नज़ारा देखने मे इतना व्यस्त था की मुझे पता ही नहीं था की मेरे पास वाली सीट पर कौन बैठा था… बस गावों के उबड़ खबड़ रास्तो से गुजर रही थी कोई बस मे सो रहा था किसी का बच्चा रो रहा था तो कोई अपने आप मे मस्त था बस भारी होने के कारण कई लोग खड़े थे और अपने गतंव्य स्थान का इंतज़ार कर रहे थे इनमे से कोई कही महीनों के बाद अपने घर जा रहे थे तो कई लोग कही सालो बाद, कुछ बुजुर्ग व्यक्ति खिड़की से बाहर समाज व गावों के बदलाव को अपने समय से जोड़कर कुछ अच्छाईया तथा कुछ बुराइयाँ के बारे मे चर्चा मे लगे थे।

बस की भीड़ मे कोई व्यक्ति किसी खाली होने वाली सीट का इंतज़ार भी कर रहे थे यह दृश्य सरकार की कुछ कमियों को भी उजागर कर रहे थे त कुछ व्यक्तियों की सोच को…..अचानक बस एक स्टॉप पर रूकती है और एकाएक बस मे भीड़ भरती जाती है मेरी नजरे एक छोटे से बच्चे पर गई जो बस मे कुछ सामान बैचने के लिए चढ़ा था बस रुकी हुई थी और वह बच्चा बस मे सामान बैचता रहा मैंने उस पर अपनी नज़र लगाई रखी और मैंने देखा जैसे ही वह कोई सामान बैचता और उसके हाथ में पैसे आते वह बहुत खुश हो जाता और उस बोझ व दुख से भरे उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है मानो उसने कोई कीमती चीज़े बैची हो जिसके बदले उसे बहुत बड़ी मात्रा मे पैसे मिले हो जिससे वह अपने सपने पुरे कस्र सके यह दृश्य मुझे खुशी भी दे रहा था तो पीड़ा भी… आखिर कितने बच्चे, बूढ़े, महिलाये अपने उम्र से ज्यादा काम करती है सिर्फ अपने घर मे खाने के लिए उनकी भी आँखो मे वे बहुत से सपने है जो प्राय आप और मैं देखते है फर्क वस इतना है हम उन सपनो की पीछे भागने के लिए एक कीमत चुकाते है पर उन लोगो के पास वह कीमत ही नहीं है……।

सामान बैचता हुआ वह बच्चा मेरे पास आया तथा कुछ खरीदने की हट करने लगा मैंने उससे कुछ सामान ख़रीदा अचानक बस स्टार्ट हुई और सब लोग जल्दी जल्दी बस से उतरने लगे और बैठने लगे मैंने उस बच्चे से पूछा की उसके घर मे कौन कौन है उसने मेरी आँखों मैं झाकते हुए जल्दी जल्दी कहा की मैं और सिर्फ मैं और अचानक वह बस से भागते हुए निचे उतर गया मैं चलती बस से खिड़की से उसे ही देखता रहा और मैंने देखा की वह बच्चा एक पेड़ के निचे जाकर अपनी बस की कमाई के पैसे को गिन रहा था बच्चे का यह दृश्य पीड़ा देने वाला था लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है यहाँ पे सकारात्मक दर्शन देखने मे भी मिला वह बच्चा अपने सफर का रोमांचक मजा ले रहा था। सफर आगे बड़ा बस गावों से गुजर रही थी मैं खिड़की से गांव का दृश्य देखता रहा कही पानी से भरे तालाब कही कीचड़ से भरी सड़के हुए नालिया, कच्चे घर और उसके बाहर खेलते हुए बच्चे,बुजुर्ग व्यक्ति एक साथ बैठे हुए यह दृश्य अद्भुत तो था पर इसमें एक दर्द था वह था सिर्फ एक लाइन जो गावों को गावों से और शहरो को शहरो से अलग करती है मेरे मन मे अचानक सवाल उठा की क्या कभी गांव भी शहरो की तुलना कर पायगे उन्हे भी शहरो जैसी सुबिधाये दी जायगी क्या सभी व्यक्तियों को यह कोशिश करनी चाइये की इसमें बदलाव हो? क्या मैं इनके लिए कुछ बेहतर कर सकता हु जिससे ये भी आधुनिक समाज का हिस्सा बने….. यह सोचते सोचते अचानक मेरी आंख लग गई।

रोमांचक का यह सफर अभी जारी है जिससे हम अगले पाठ मे देखेंगे जो की बहुत ही आकर्षित प्रतीत होता है……..

By: SUSHIL SHARMA

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