। हे वृष वाहन नंदी।
| आपके द्वारे ही होते हैं महादेव के शृंगदर्शन |
| और आपके कानों से ही हमारे तृष्णाओं के होते हैं शिवजी को अर्पण |
| आप दिखाएं हमें शिवजी के लीलाओं का दर्पण |
| आकाश है आपकी घर कैलाश की मंडप |
| और धरती है आपकी पैरों के गान की कंदर्प |
| नाच गान में आप भी पारंगत |
| शिव शक्ति भी है आपसे प्रसन्न
जिनकी शिवभक्ति के लेहेर उठे तरंगत |
| हमारे पापों को करे आपके दोनों शिवभक्ति में लीन सींग अंत |
| हे नंदी
शिवजी के वृष वाहन |
| जिनसे हो शिवजी और उनके सुलीला के दर्शन |
| उनसे ही शिवभक्ति हमारी होती है संपन्न |
By: Sharmila Shankar
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