विवेक आत्मा का प्रकाश है जो
आपके हृदय के कक्षों में जलता है।
यह सत्य का एक रूप है।
यह भीतर से मार्गदर्शक कि आवाज है।
पुण्य कर्म, दान, परोपकार, कुलीनता,
उदारता, दया के कार्य, सत्य का अभ्यास,
ब्रह्मचर्य और अहिंसा विवेक को तेज करते हैं।
दूसरी ओर, असत्य, क्रूर और अनैतिक जीवन,
कुटिलता और छल अंतरात्मा को मार डालता है।
दोषी विवेक वाला व्यक्ति इस दुनिया में
और परलोक में भी हमेशा बेचैन और दुखी रहता है।
शुद्ध अंतःकरण वाला व्यक्ति पृथ्वी पर सच्चा ईश्वर है।
By: SIDHARTHA MISHRA
Write and Win: Participate in Creative writing Contest & International Essay Contest and win fabulous prizes.