मेरे बचपन का भारत

By: Bhupesh Vaidya

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मेरे बचपन का भारत

मेरे बचपन का वो भारत जहाँ एक संग सब रहते थे

कोई ना झगड़ता था ऐसे सब इंसान बने रहते थे

ये दंगा और फ़साना किताबों में दिखा करते थे

गली-गली की सड़कों पर राम रहीम मिला करते थे

इफ्तार में आना जाना तब आम हुआ करता था

मज़हब की दीवारों का रोग ना हुआ करता था

भारत माँ के बेटे तब वफादार हुआ करते थे

हिंदू और मुस्लमान भी एक साथ रहा करते थे

अब गंगा और जमुना पर भी बांध बन बैठे हैं

सबके अपने-अपने अब हिंदुस्तान बन बैठे हैं

हर किसी की मौत का अब जश्न मना करता है

अपने-अपने घरों में बैठ अब धर्म रोया करता है

राखी और सलमा अब बहनें ना हुआ करती हैं

डरती हैं माएं चुपचाप हिदायत दिया करती हैं

मैं ढूंढ़ता हूँ अब भी वो दिन जो हुआ करते थे

मेरे बचपन का वो भारत जब हम संग हुआ करते थे

By: Bhupesh Vaidya

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