शहीद की अभिलाषा है

By: Neeraj Shukla

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शहीद वो शख्स करे जो अपना दान शरीर ।

हम शहीद है भारत मां के लोग कहे हमको रणवीर ।।

हमको भी जीने की चाहत हम भी चाहे मौज ।

पर खराब थी शायद किस्मत हमने चुन ली फौज ।।

हम नेताओं की खिदमत मे देश की सीमा खाली है ।

वहाँ अंधेरे मे हम रहते इनके घर दीवाली है ।।

अफजल को फाँसी मे देरी वीर शहीदों का अपमान ।

वहीं देश के कुछ नेता उसका भी करते है गुणगान ।।

अगर तनिक जिम्मेदारी से काम मीडिया करता ।

सही मानिये भारत का कोई जवान ना मरता ।।

नहीं चाहिए हमको तमगे हमकों खुली छूट मिल जाय ।

एक तिरंगा दिल्ली मे फहरे दूजा लाहौर पे लहराय ।।

अगर मिली ना छूट हमें इसके परिणाम विकट होगें ।

बार बार 26 / 11 दिल्ली मुबंई के निकट होगें ।।

By: Neeraj Shukla

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