शहीद वो शख्स करे जो अपना दान शरीर ।
हम शहीद है भारत मां के लोग कहे हमको रणवीर ।।
हमको भी जीने की चाहत हम भी चाहे मौज ।
पर खराब थी शायद किस्मत हमने चुन ली फौज ।।
हम नेताओं की खिदमत मे देश की सीमा खाली है ।
वहाँ अंधेरे मे हम रहते इनके घर दीवाली है ।।
अफजल को फाँसी मे देरी वीर शहीदों का अपमान ।
वहीं देश के कुछ नेता उसका भी करते है गुणगान ।।
अगर तनिक जिम्मेदारी से काम मीडिया करता ।
सही मानिये भारत का कोई जवान ना मरता ।।
नहीं चाहिए हमको तमगे हमकों खुली छूट मिल जाय ।
एक तिरंगा दिल्ली मे फहरे दूजा लाहौर पे लहराय ।।
अगर मिली ना छूट हमें इसके परिणाम विकट होगें ।
बार बार 26 / 11 दिल्ली मुबंई के निकट होगें ।।
By: Neeraj Shukla