कब तक बांधे रखो गे अपनी आँखों पर ब्रह्म की पट्टी
खोलो आंखे देखो समाज में फैली गंदगी ।
हो रहे जहा जात-पात के मुददों पर दंगे ,
क्यू बैठे हो ऐसे ,
बुलंद करो अपनी आवाज़
तुम्हारे घर के झगड़ो से बड़े है देश के झगड़ो ।
किसानो के आंदोलन में भी सीएए का लफड़ा चलो है,
जाने कोन है जो फलाए हुए समाज में गंद है।
जो देते हवाले बेटियों की सुरक्षा का ,
आज क्यू उनके मुह पर ताले लगे है ।
बेटियों पर ज़ुलम करने वाले पापी ,
क्यू घूम रहे है सलाखों के बाहर
क्यू नहीं हुई उन्हे फासी ।
जहा कुछ बेटियाँ कर रही भारत का नाम रोशन है , फिर क्यू कुछ झेल रही है हेवानों की करतूत।
सब ज़ुल्म बेटियों पर ही क्यू?
दहेज हो या गर्व जाँच,
क्यू सहन करना पड़ता है इन्हे सब कुछ।
आखिर बेटियाँ तो होती ही पराई है
बहू से बेटी बनाकर भी क्यू है फिर दहेज की लालसा
क्यू उसे इतने ज़ख़म दे रहे हो ,
भूल गई तुम भी तो एक स्त्री हो।
लड़कियो से घर का काम कराए ,
लड़को को शिखर पर चढ़ाए ।
लड़कियां काम पर जाए तो बिगड़ जाए,
लड़के जाए काम पर तो पैसे कमाए।
बदल दो अपनी छोटी सोच को
परखो अपनी बेटी के अंदर छुपे उस हुनर को
क्यू कर रहे हो तुम इतना भेद-भाव
छोड़ो मत इन बेटियों का साथ
करेगी तुम्हारा नाम ही रोशेन , होगा तुम्हारा देश भर में नाम ।
By Himani Tyagi, Seemadwar , Dehradun