“उल्लेखनीय भारतीय संस्कृति जो भारत को अद्भुत बनाती हे”

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भारतीय संस्कृति का उल्लेख सिर्फ देश में नहीं विदेशों में भी किया जाता है। संस्कृति का मान सम्मान भारत में ही होता है जिसके कारण अन्य देश भी भारतीय संस्कृति के तरफ आकर्षित होते है। सिर्फ आकर्षित नहीं होते लोग भारतीय संस्कृति को अपनाते भी है।

त्यौहार: सभी त्यौहार लोगो के जीवन में ख़ुशी और एक नई उम्मीद लेकर आते है। त्यौहार हर एक देश में मनाते हैं, लेकिन भारत में त्योहार बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। त्योहारों के कारण ही लोग एक दूसरे से मिल पाते है, सभी लोग एक जगह आकर अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करके माहौल को और भी प्रसन्न कर देते है। ऋतुओ के बदलने के साथ-साथ त्योहारों का आगमन होता हैं और वातावरण के अनुकूल ही उस त्यौहार के नियम होते हैं। होली, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि-दशहरा, दीवाली, क्रिसमस और ईद यह सारे त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाते है। बाकी त्यौहार भी हसते-मुस्कुराते हुवे ही मनाते है पर यह त्यौहार सार्वजनिक तौर पर भी मनाते है। गणपति बाप्पा की स्थापना तो अब थाईलैंड में भी होती है जिनका विडिओ गणेश चतुर्थी के दौरान वायरल हो जाता है। उनको नहीं पता पूजा कैसे की जाती है तो वे लोग हैप्पीबर्थडेगणपतिबाप्पा, गणपतिबाप्पामोरया ऐसी कुछ पंक्ति बनाकर गाते है।

पहनावा: पहनावे से हम इंसान का अंदाज़ा लगा सकते है की वह किस देश का वतनी है।  भारतीय पुरुष की बात करे तो उनके पहनावे में धोती-कुर्ता, पगड़ी, लुंगी, साफा या टोपी और कुर्ता-पायजामा आदि हैं।  यदि हम महिलाओं के पहनावे की बात करें तो उसमें साड़ी, सलवार कुर्ती, लहंगा, गरारा, ओढ़नी आदि हैं। पहनावे का रंग त्योहारों या कोई प्रसंग जैसे शादी-विवाह के समय चार गुना बढ़ जाता है। खास कर बच्चों को पारंपरिक वस्त्र में देखो तो उनकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। विदेशी लोग भारतीय वस्त्र को अपने कार्यक्रमों में शामिल करके चर्चा का विषय बन जाते है।जैसादेशवैसाभेष पर भारतीय भेष का कोई जवाब नहीं

लोकनृत्य: भारत में लोकनृत्य की सूची भी बहुत बड़ी है उसमे से कुछ लोकनृत्य है जिनके नाम कुछ इस प्रकार है, कुचीपुड़ी, डांडिया रास, कथकली, कोली, लेजिम और भरतनाट्यम। लोकनृत्य का आयोजन ज्यादातर शाम के समय या रात के समय पर किसी खुले मैदान में या खुली जगह पर किया जाता है। कुछ लोकनृत्य ऐसे है  जिसमे थोड़ी लकडिया जला कर चारों और लोग बैठकर गीत गाते है या नृत्य करते है। उसमे जो वाद्य का प्रयोग करते है वह भी अद्भुत होते है जिसके सामने पियानो, ड्रम या गिटार थोड़े फीके फीके लगते है। लोकनृत्य का जो माहौल बनता है ना वो तो किसी अवार्ड कार्यक्रम में भी नहीं बनता है।कई विदेशी लोग भारतीय लोकनृत्य सीख कर अपने देश में भारतीय लोकनृत्य का आयोजन भी करते है।कहा तो जाता है नाचजानेआँगनटेढ़ा पर लोकनृत्य टेढ़े आँगन में भी अपनी अलग छाप छोड़ जाता है।

विवाह: भारतीय विवाह भी बहुत प्रचलित और आकर्षित है।  इसमें कई सारी रस्म होती है जो लोगो को बहुत पसंद आती है। शादी की रस्म की शुरवात होती है दो परिवार के आपस में बातचीत करने से फिर वह कोई एक दिन निश्चित करते है जब दोनों परिवार लड़की के घर मिलते है, ताकि लड़का और लड़की दोनों एक दूसरे को देख सके और समझ सके (कौन  किसकोकितनासमझाथायेतोशादीकेबादहीपताचलताहै)। सबकुछ ठीक रहा तो सगाई की तारीख पक्की होती है। फिर आती है बात नोखे अनोखे पत्रिका/कार्ड छपवाने की फिर उसे घर घर जाकर बाँटना। शादी के अगले दिन हल्दी और मेहँदी का कार्यक्रम होता है जिसमे संगीत का आयोजन भी होता है। शादी के समय चाहे लड़की के घर की बात कर लो या लड़के के घर की माहौल बड़ा ही खुश-नुमा होता है सारी तैयारियाँ जोरों शोरो से चल रही होती है, मंडप बांधना, पूरा मोहल्ला रौशनी से भर देना, खान-पान की तैयारी, बैंड-बाजा, महेमानो के लिए आना जाना और रहने की व्यवस्था। शादी के दौरान सात फेरे लिए जाते है, जिसके बिना शादी अधूरी मानी जाती है। सात फेरो के साथ कई वचन भी दिए जाते है जो दूल्हा दुल्हन जरुरत पड़ने पर पूरा करने का वादा करते है (ज्यादातरजरुरतपड़नेपरएकदूसरेकोयाददिलातेहै)। और एक रस्म है जो शादी के बाद निभाई जाती है और वो है दूल्हे के जूते छुपाना जो बहुत प्रचलित भी है।शादी में एक और बात होती हे जो किसी के समझ में नहीं आती की कौनकिससेरूठाहैऔरकौनकिसकोमनारहाहै।शादी के बाद बैंड बाजा के साथ दूल्हा दुल्हन को अपने घर ले जाता है जिसमे पूरे परिवार वाले जोरों शोरो से नाचते है।वैसे तो इतनी रस्म और रिवाज है की एक निबंध भारतीय विवाह पर ही लिखा जा सकता है। 

भाषा: भाषा संस्कृति का अहम हिस्सा होती है, भारत में तो कोसकोसपरबदलेपानीऔरचारकोसपरवाणी। जब हम किसी राज्य में जाते है तब हमें पता चलता है की भाषा में भी अलग अलग बोली है। जैसे महाराष्ट्र में जाए तो पता चलता है की मराठी में कोकणी, मालवणी आदि बोली भी है। भाषा कोई भी हो सभी भाषा का अपना एक अलग अंदाज़ है, अपनी खूबसूरती है और सभी भाषाएँ अपनी एक अलग पहचान रखती है। आपको थोड़ी हैरानी ज़रूर होगी यह जानकर की भारत में तक़रीबन १६५२ भाषाएँ है। 

भोजन: संस्कृति का एक हिस्सा भोजन भी होता है। खाने में देशी स्वाद ज़रूर होना चाहिए। देशी खाना और देशी मसाले में जो स्वाद और सेहत का राज छिपा है वह डिब्बा बंद खाने में नहीं।भारत में कई ऐसी जगह है जहाँ के खाद्य पदार्थ खूब प्रख्यात है, जैसे की मथुरा का पेड़ा, आगरा का पेठा और मुंबई की तो क्या बात करे वड़ा पाव, पानी पूरी, पाव भाजी और अगर आप शाकाहारी है तो फिर गुजरात  तो आपके लिए एकदम सही जगह है जहाँ आप ढोकला, खमण और उंधियु का स्वाद चख सकते है। इन सब के अलावा सभी त्योहारों में और भी कई प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाते है जो त्योहारों में एक नया रंग और उमंग भर देता है, जैसे संक्रांति में तिल-गुड़ के लड्डू, गणेश चतुर्थी में मोदक, दीवाली में मिष्ठान और मिठाईया। और एक खास और थोड़ा अलग कह सकते है जब हम दक्षिण भारत की बात करे तो वहां त्योहारों में या कुछ कार्यक्रम के आयोजन के दौरान लोग केले के पत्ते में भोजन करते है। केले के पत्ते में रखा हुवा भोजन देखते ही लोगो की भूख अपने आप बढ़ जाती है।भोजन की इतनी तारीफ करने बाद भी कहा जाता है जीनेकेलिएखाएखानेकेलिएजिए।

आस्था: भारतीय संस्कृति की बात हो और आस्था की बात न हो यह कैसे हो सकता है। भारत एक ऐसा देश है जो श्रद्धा और अंदश्रद्धा दोनों के लिए जाना जाता है। भारत में ऐसा नहीं है की जिनका मंदिर हो सिर्फ वही भगवान है,सूर्य और चंद्र दोनों को भी भगवान माना जाता है। सूर्य-ग्रहण और चंद्र ग्रहण के समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसकी सूची है, जिसका सभी लोग बड़ी आस्था से पालन करते है। आकाशगंगा में बहुत सारे ग्रह है उनमें से कई ग्रह की भारत में पूजा होती है खास कर मंगल और शनि। समुद्र किनारा लोगो के लिए मौज़ मस्ती की जगह हो सकता है पर भारत में  समुद्र भगवान समान है। समुद्र किनारे बहुत सारी धार्मिक विधि और पूजा की जाती है। नदी को भी माँ समान माना जाता है (मानोतोगंगामानोतोबहतापानी)। भारत में पेड़ की भी पूजा की जाती है जिसमे प्रमुख है पीपल का और बरगत का पेड़। और तुलसी का पौधा आँगन में होना शुभ माना जाता है।

भारत एक ऐसा देश है जिस पर निबंध लिखने के लिए कई कितने विषय मिल जाएंगे और कोई भी ऐसा विषय नहीं होगा जिसमे भारत का वर्णन सिर्फ कुछ शब्दों में किया जाये। भारत की संस्कृति के माध्यम से थोड़ी सी कोशिश की है भारत का वर्णन करने की उम्मीद कर रहा हु आपको भी भारत की संस्कृति के प्रति और ज्यादा आकर्षण होगा और अपने बच्चों को इसे आगे ले जाने के लिए विनंती करेंगे।

जयहिन्द

लेखक परिचिति : नरेंद्र राजपूत , मुंबई।

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