एक ऐसी दुनिया जहां मासूमियत किसी की मोहताज नहीं होती और,
सपने आसमान में चमकते उस सूरज तक पहुंचने के होते हैं,
ये वो दौर है मेरे दोस्तों, जिसे जवानी और बुढ़ापा अपनी ज़िंदगी में दोबारा शामिल करना चाहते हैं,
वो नन्हे–नन्हे हाथ हर चीज़ का ऐहसास करना चाहते हैं,
तेज़ी से बढ़ते हुए वो कदम चांद की ज़मीन पर उतरना चाहते हैं,
कहते हैं जिंदादिल रहने के लिए दिल में बचपना होना ज़रूरी है…
शायद इसलिए ऐसा कहते हैं क्योंकि जिंदादिली तो बचपन की सहेली होती है,
तरसती हैं जब निगाहें रोशनी की एक किरण को तो,
बच्चों के चेहरे की वो नटखट मुस्कान वीरान दिल में भी बहार का आलम ले आती है,
कहां से लाओगे वो बेखौफ मिज़ाज जिसे तुम्हारी जवानी और बुढ़ापे ने छीन लिया क्योंकि,
वो मिज़ाज तो तुम बचपन में ही छोड़ आए हो,
छू लेना चाहते थे जो हाथ कभी तारों को,
आज वो जेब में कहीं सिमट कर रह गए हैं,
वक्त ही तो है… आंख बंद करते ही गुज़र जाएगा,
इसलिए न रोको, न टोको इन बच्चों को,
देखने दो इन्हें सपने, बुनने दो इन्हें अपने ख्वाबों का आशियां क्योंकि,
बचपन दोबारा नहीं आता… बचपन दोबारा नहीं आता।
By: Lavanya Madan
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