ऐतिहासिक स्थल हमारी संस्कृति हमारी विरासत

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किसी भी देश की समृद्धि का पैमाना ऐतिहासिक विरासत को देखकर किया जाता है संयोग से भारत अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत  के मामले में विश्व में महत्वपूर्ण स्थान पर विराजमान है यह विरासत ऐतिहासिक इमारतों मंदिरों मस्जिदों स्मारक गुफाओ आदि के रूप में उपलब्ध है जो एकता और देशभक्ति मानवता प्रेम सौहार्द त्याग की कहानी को बयां करते हैं ऐतिहासिक धरोहर और विरासत हमारी शान के प्रतीक हैं भारतीय महत्वता का पता यूएनओ के सांस्कृतिक संस्था यूनेस्को द्वारा 37 सहित इस स्थलों को विश्व विरासत स्थल के रुप में सम्मिलित किया है

जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष यूनेस्को द्वारा 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाया जाता है भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की एक लंबी श्रृंखला है इसे छोटी अवधि में उल्लेख करना कठिन कार्य है फिर भी इस पर एक नजर डालने  का प्रयास है इस कड़ी में उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित आगरा अपनी मोहब्बत का प्रतीक ताजमहल एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो मुम ताज की याद में बनवाया था आगरा का किला मुगल शासकों का केंद्रीय निवास स्थान था मुगल स्थापत्य कला आदर्श उदाहरण लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है इन दोनों स्थलों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहरों के रूप में घोषित किया गया है कुछ और ऐतिहासिक धरोहरों की बात करें तो महाराष्ट्र में स्थित औरंगाबाद शहर के पास स्थित अजंता एलोरा की गुफा अपनी कलात्मक शेली के लिए विश्व प्रसिद्ध है अजंता में 29 और एलोरा में 34 उपाय हैं जो 200 ईसा पूर्व से 650 तक  बौद्ध धर्म का प्रतिनिधित्व करती हैं हम सभी जानते हैं बौद्ध धर्म का प्रचार भी हिंदुस्तान से ही शुरू हुआ था गुफा की दीवारों पर खूबसूरत चित्रकारी और मूर्तियों का प्रदर्शन किया गया है । ज्ञान की बात करें तो बिहार में स्थित नालंदा प्राचीन ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध स्थल है शिक्षा के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी यहां उपलब्ध है भगवान बुद्ध ने सम्राट अशोक को यही उपदेश दिया था नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त शासक कुमारगुप्त को जाता है 14 हेक्टेयर क्षेत्र में लाल लाल पत्थर से निर्मित 13 मदो  के अवशेष मिले हैं जो स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है इसी जिले में स्थित पावापुरी एक प्रवेश पवित्र स्थल है जहां जैन धर्म से संबंधित महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति की थी नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ मे स्थित है बिहार के भागलपुर से 30 किलोमीटर दूरी पर बटेश्वर नाथ टीला नामक का स्थान है जहां पर विक्रमशिला विश्व विद्यालय के प्राचीन खंडहर के अवशेष दिखाई देते है । 

 मेरे हिसाब से   गया में स्थित महाबोधि टेंपल विश्व विरासत में भारत के वास्तुकला का एक अनुपम उदाहरण पेश करती है वहां की शांति स्तूप वहां की भिन्न-भिन्न देशों द्वारा स्थापित मंदिर करा जो हमारे देश की एक अलौकिक दृश्य को प्रदर्शित करती है। जो अदभुत है।       

  बात अगर भारत के दक्षिणी छोर पर करें तो मंदिरों का शहर जो कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित मंदिरों का शहर महाबलीपुरम स्थित है द्रविड़ वास्तुकला में निर्मित पल्लव राजाओं का यह केंद्र अपने भव्य मंदिर और उसकी स्थापत्य के लिए विश्व में प्रख्यात हैं यहां का रथ मंदिर रथ मंदिर के साथ-साथ स्मारक की पूरी की पूरी श्रृंखला दिखाई देती है स्मारकों को रात गुफा मंदिर संरचनात्मक मंदिर आदि श्रेणियों में बांटा गया है महाबलीपुरम पल्लव राजाओं का प्राचीन समुंदर बंदरगाह भी था जो विश्व प्रख्यात वास्तुकला शैली के लिए प्रसिद्ध है भारत की ऐतिहासिक धरोहरों की बात करें तो पंजाब प्रांत में स्थित अमृतसर में स्वर्ण मंदिर सिक्खों का पवित्र स्थान स्थल है जिससे घूमने के लिए पूरे विश्व से कई देशों से लोग यहां आते हैं इसे हरमंदिर साहिब दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है यह गुरुद्वारा गुरुद्वारा शिल्प सौंदर्य की एक अनूठी मिसाल पेश करता है पूरी गुरुद्वारा स्वर्ण के आभूषणों से बना हुआ है यहाँ लगभग हर वर्ष लाखो लोग घूमने आते है।अब भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित एक विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर की बात करें तो कलिग शैली के गंग वंश के राजा नरसिंह देव द्वारा निर्मित इस भव्य मंदिर में सूर्य देव को रथ पर विराजित किया गया है तथा पत्थरों को उत्कृष्ट निकासी द्वारा अलंकृत किया गया है यह भारत की एक उत्कृष्ट शैली को कलिंग शैली को प्रदर्शित करता है इस प्रकार भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक स्थलों की एक लंबी श्रृंखला है जो हमारी विविधता में एकता का संदेश को प्रकट करती है इन सब को देखकर ऐसा लगता है कि भारत में सभ्यता संस्कृति और विकास प्रारंभ में ही उन्नति स्तर पर रहा होगा यह विरासत हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई अनमोल धरोहर है इसका संरक्षण अनिवार्य है और हमें सामूहिक व व्यक्तिगत प्रयासों से इसे सुरक्षित रखना है ताकि विश्व में भारत की एक अमूल्य पहचान के रूप में विकसित हो सके और विश्व की विरासत को भारत अपनी एक अनोखी पहचान दे सके!

Author: Ayush Raj, Ara

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