सारे जहां से अच्छा
आपके आशीष से माता
युग सत्या हो द्वापर कलियुग या त्रेता
आपके पुत्रियां और पुत्र
नए दिशाओं में आपकी गौरव का पताका लहराते
आपके गर्भ में पले बढे यह बच्चे आपको गौरी नाम से भी पुकारते
आपसा न कोई है माता
जिनके सर की छाऊँ है आपकी प्रेम की छाता
यही है आपकी अद्भुत लीला
जो आसमान से भी अनंत हो
आपकी प्रेम की रंग नीला
हे भारत मात, आपकी आँचल में फिर से समा जाऊं
फिर भी मात्र ऋण ना चुका पाऊं
मातृ ऋण ना चुका पाऊं।
By: Sharmila Shankar
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