पंचतंत्र में वैसे ‘चालाक बिल्ली ‘ पर बहुत सारी कहानियां मिल जायेंगी पर यह मेरी आपबीती है। बात उन दिनों की है जब कोविड महामारी की वजह से लॉकडाउन में सभी घर में बंद थें। चारों तरफ सन्नाटा पसरा रहता था।तभी एक दिन अचानक मेरे घर के दरवाजे पर छोटी सी सफेद और भूरे रंग की बिल्ली म्याऊं – म्याऊं कर रही थी। मैं और मेरी बेटी पावनी ने उसे एक कटोरे में थोड़ा सा दूध दिया और दरवाजा बंद कर लिया। क्योंकि उस वक्त बाहर के कुछ भी चीज को घर के अंदर लाने में डर लगता था। पर वह तो बस घर का रास्ता देख ली और रोज दरवाजे के पास आकर आवाज दिया करती थी। मेरी बेटी को उससे प्यार हो गया और उसका नाम ‘लूसी’ रख दी। मैं उसे घर के अंदर लाने के बिल्कुल पक्ष में नहीं थी पर लूसी भी कम नहीं थी वह मेरी बेटी के पैरों से लिपट – लिपट कर खेलती थी। फिर मैं अच्छे से उसके पैर हाथ धोती थी। अभी तक सुना था की बिल्लियां चालाक होती हैं पर मैं अब यह अनुभव भी कर रही थी की धीरे धीरे लूसी सब पर प्यार लूटा कर सबका दिल जीत ली। वह घर के सदस्य जैसी हो गई। पर कुछ महीनों बाद अचानक वह घर से किसी तरह भाग गई । मेरी बेटी काफी दिनों तक उदास रही। पर एक दिन उसे दूसरी बिल्लियों के साथ देखा तो समझ गई की वह उस वक्त छोटी थी इसलिए उसे आसरा चाहिए था तो हमारे पास आई। पर बड़े हो जाने पर, शिकार करना सीख जाने पर वह रफ्फूचक्कर हो गई। खैर , बिल्लियां तो होती ही है चालाक और मतलबी।
By: Deepa Sinha
Write and Win: Participate in Creative writing Contest & International Essay Contest and win fabulous prizes.