मनोरंजन
मनोरंजन की दुनिया
“सृजन, रंजन,अनुरंजनसे आनंदित और प्रफुल्लित मन
जीवन को नई उमंग से नित भरता रहता है मनोरंजन”
जिस प्रकार रोटी, कपड़ा, मकान मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है; उसी प्रकार मनोरंजन भी मनुष्य की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। जब से मनुष्य ने एक स्थान पर बसना सीखा तब से किसी न किसी रूप में मनोरंजन भी उसके जीवन का अनिवार्य हिस्सा रहा है। विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में भी मनोरंजन मानव जीवन के साथ किसी न किसी रूप में जुड़ा रहा है। आज के तनावपूर्ण जीवन में तो मनोरंजन का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। वर्तमान समय में जीवन की तेज गति और दबाव से निजात पाने के लिए और कुछ देर के लिए सब कुछ भूल जाने की मंशा लिए व्यक्ति मनोरंजन की दुनिया में प्रवेश करता है और कुछ समय के लिए ही सही वह उत्साह और उमंग से भरकर खुशी का अनुभव करता है।
मनोरंजन शब्द का अर्थ
मनोरंजन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – मन और रंजन। अर्थात मन को रंगना या प्रसन्न रखना।ऐसी प्रत्येक गतिविधि जो मन को आनंदित और प्रसन्न रखें, उसे हम मनोरंजन कहते हैं जैसे खेल कूद, पर्यटन, ललित कलाएं, नृत्य, संगीत आदि।
मनोरंजन की दुनिया का इतिहास
मनोरंजन की दुनिया का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीन काल में शिकार खेलने से लेकर नृत्य,नाट्य, गायन, मल्ल युद्ध, द्यूत क्रीड़ा, पशुओं की लड़ाइयां,मेले,करतब आदि विभिन्न रूपों में मनोरंजन के साधन उपलब्ध थे। वर्तमान समय में तो मनोरंजन की यह दुनिया बहुत व्यापक हो चुकी है।आज फिल्म जगत, टेलीविजन, थिएटर, खेल जगत, मोबाइल गेम,एम्यूजमेंट पार्क, एडवेंचर गतिविधियां, सृजनात्मक क्रियाएं आदि मनोरंजन के नए-नए आयाम हमारे सामने उपस्थित हैं। इस क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खुलते ही जा रहे हैं।
मनोरंजन की दुनिया का महत्व
मनोरंजन केवल मनुष्य के मन बहलाव का साधन मात्र नहीं है यह उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए संजीवनी बूटी की तरह है। आज के तनावपूर्ण समय में मनोरंजन के साधन से मनुष्य को न केवल मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलती है बल्कि शारीरिक गतिविधियों से वह अपने शरीर को स्वस्थ भी रख सकता है। यही नहीं खेल-खेल में कई जानकारियां रोचक तरीके से सीखी जा सकती हैं। इसी के साथ आज यह मनोरंजन जगत बहुत आर्थिक लाभ कमाते हुए देश एवं समाज की आर्थिक उन्नति का महत्वपूर्ण साधन भी बनता जा रहा है एवं कई लोगों की जीविका का साधन भी बना हुआ है। दुनिया के साथ-साथ भारत में भी मनोरंजन जगत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश की आर्थिक रूप से सक्षम होती विशाल जनसंख्या मनोरंजन की दुनिया के विकास में सहायक हो रही है।
मनोरंजन की दुनिया में रखी जाने वाली सावधानियां
मनोरंजन की यह दुनिया जितनी जादुई और आकर्षक है, उतनी ही खतरों से भरी हुई भी है। थोड़ी सी भी असावधानी व्यक्ति को गंभीर जोखिमों, मुसीबतों, आर्थिक संकटों से घेर सकती है। कई बार वह गलत आदतों और लतों का शिकार भी बन जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य अपने विवेक को जागृत रखते हुए मनोरंजन की इस दुनिया से सकारात्मक लाभ उठाए और इससे संभावित हानि से बचाव कर सके। यदि ऐसा होता है तो हम मनोरंजन की दुनिया के सकारात्मक पहलुओं के साथ मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।
यदि भारत के संदर्भ में देखें तो हमारे देश में इस क्षेत्र में विकास की कई संभावनाएं मौजूद हैं। खेलकूद के विभिन्न क्षेत्रों से लेकर पर्यटन के विभिन्न क्षेत्र, शास्त्रीय एवं लोककलाएं, रोमांचक गतिविधियां जैसे पहाड़ों पर चढ़ना, समुद्र की अतल गहराईयों को नापना, भारतीय फिल्म जगत की लोकप्रियता आदि विभिन्न क्षेत्र अपने विकास की असीम संभावनाओं के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में मनोरंजन की दुनिया से सकारात्मक लाभ लेते हुए हम मनोरंजन को अपनी सॉफ्ट पावर के रूप में विकसित कर विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने का एक माध्यम बना सकते हैं।इसी के साथ स्वस्थ भारत के निर्माण के साथ “फिट इंडिया हिट इंडिया”मूवमेंट को गति प्रदान कर सकते हैं। यही नहीं दुनिया की खुशहाली इंडेक्स में भी हमारी रैंकिंग ऊपर हो सकती है और इसी के साथ इस क्षेत्र का समुचित विकास कर हम भारत को आर्थिक रूप से भी मजबूत बना सकते हैं और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मनोरंजन की दुनिया का सकारात्मक योगदान सुनिश्चित कर सकते हैं परंतु इसके लिए एक बेहतरीन योजना के साथ ही उस पर विवेकपूर्ण अमल की आवश्यकता सदा बनी रहेगी।
By: Rachna Chetan Manhar
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