द्रौपदी की चीर फिर से खिंच रही है, हर शहर, हर गली में चीत्कार हो रही है। ...
धर्म
। हे वृष वाहन नंदी। | आपके द्वारे ही होते हैं महादेव के शृंगदर्शन | | और आपके कानों से ही हमारे तृष्णाओं के होते हैं शिवजी को अर्पण | | आप दिखाएं हमें शिवजी के लीलाओं का दर्पण | | आकाश है आपकी घर कैलाश की मंडप | | और धरती है आपकी पैरों के गान की कंदर्प | | नाच गान में आप भी पारंगत | | शिव शक्ति भी है आपसे प्रसन्न जिनकी शिवभक्ति के लेहेर उठे तरंगत | | हमारे पापों को करे आपके दोनों शिवभक्ति में लीन सींग अंत | | हे नंदी शिवजी के वृष वाहन | | जिनसे हो शिवजी और उनके सुलीला के दर्शन | | उनसे ही शिवभक्ति हमारी होती है संपन्न...
मैं राम पर लिखूं…📜🖊🥰🌷….. मैं राम पर लिखूं इतना मुझमें सामर्थ्य कहां? सृजनहार का किस प्रकार शब्द...