पैसा ज़रूरी हैं पर पैसा सब कुछ नहीं जबसे होश संभाला, घर में पैसों की कमी को देखा, हमेशा माँ और पापा की इच्छाओं को दबते हुए देखा, फिर भी उनके चेहरे पर मुस्कान थी, हमारा साथ और प्यार ही उनकी खुशी थी। एक दिन जब लेनदार हमारे घर पर आए, तब समझ आया कि पापा ने मेरी पढ़ाई के लिए उधार लेकर पैसे थे चुकाए, तब भी माँ और पापा ने कहा हम हैं ना , और अगले ही दिन मम्मी ने बेचे अपने पूर्वजों के गहने I उसी दिन से मैंने था ठाना, चाहे जो भी हो बहुत सारे पैसे हैं कमाना, मैंने दिन रात सिर्फ पढ़ाई को ही अपना लक्ष्य बनाया, और कुछ ही दिनों में एक बहुत बड़ी कंपनी में मुझे जॉब का ऑफर आया I पर धीरे-धीरे पैसों की चकाचौंध ने मुझे अंधा कर दिया, पैसे कमाने के अलावा मुझे और कुछ भी नज़र नहीं आया,...