स्वतंत्रता के हीरक जयंती वर्ष में विकास पर एक विमर्श

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मुझे अत्यंत फक्र है कि मेरा जन्म उस धरती, उस मिट्टी में हुआ है जहां राम, कृष्ण, महावीर, गौतम, नानक, विवेकानंद जैसे महापुरुषों  का अवतरण हुआ, साथ ही महाराणा प्रताप, पोरस, शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती जैसे वीर योद्धा तथा महान विद्वान तुलसी, सूर, मीरा, परसाई, ओशो आदि का आविर्भाव हुआ। मैं अपने आप को इन महान व्यक्तियों के बराबर नहीं कर रहा हूँ, बल्कि गौरवान्वित हूँ कि मैंने  उस धरती पर दाना -पानी- हवा का सेवन किया है जहां इन महान आत्माओं  ने जन्म लिया।

भारत की प्रगति, विकास और उन्नति के लिए अपना योगदान हमारा कर्तव्य तो है ही साथ ही अधिकार भी है।  मन में इसके लिए ढेरों सपने तैरते रहते हैं जिनका क्रियान्वयन मेरे हाथ में ना होकर एक भिन्न विषय है जो नीति नियंताओं से संबंधित रहेगा। विकास के जो सपने में देख रहा हूँ उनको आपके साथ बांटना चाहता हूँ।  यदि सपने नहीं देखेंगे तो उनको लागू करने के बारे में कैसे सोच पाएंगे? वर्तमान से अगर संतुष्ट होकर बेठ गए तो उन्नति करना, खुशहाली लाना कठिन हो जाता  है| भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि “सपने मेरे सर्वश्रेष्ठ मित्र हैं जो बार-2 मेरे पास आते हैं ताकि देश के लिए कुछ सकारात्मक किया जा सके।“

अब वह समय आ गया है कि भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के हीरक जयंती वर्ष में अभी तक के  सभी क्रियाकलापों, परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जाए। आम तौर पर मूल्यांकन के पश्चात यह देखा गया है कि अनेक महत्वपूर्ण, लाभप्रद, बहूद्देशीय  परियोजनाओं का क्रियान्वयन अवश्य हुआ है लेकिन लोगों में नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ है। हालांकि उन्नति और ह्रास की तुलना करने पर ज्ञात होता है कि देश ने प्रगति, उन्नति और विकास ही किया है। मशहूर कार निर्माता हेनरी फोर्ड का कहना था, “साथ मे आना शुरुआत है, एक साथ रहना प्रगति है और एक साथ काम करना ही सफलता है।“ मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि अपनी पुरानी गलतियों से सबक सीखते हुए प्रगति की राह पर कदम बढ़ाएंगे और स्वर्णिम देश का निर्माण करने में समर्थ होंगे।

मैनें ऐसी कल्पना की है, ऐसे सपना देखे हैं कि मूलरूप से निम्नलिखित चार बिन्दुयों को ही क्रियान्वित कर सके तो भारत विश्व में सर्वश्रेष्ट स्थान हासिल करने में सफल होगा। इन बातों को सकारात्मक रूप से लागू करने के लिए नीति नियंताओं को गंभीर चिंतन-मनन करना होगा। वे चार बिन्दु हैं :-

१ ) जनसंख्या में स्थिरता

२ )प्राकृतिक / मानव निर्मित संसाधनों का संरक्षण एवं नियमन

३ ) राजनीति : टूटते जीवन मूल्य

४ ) बाहय तथा आंतरिक सुरक्षा

१ ) जनसंख्या में स्थिरता : देश के प्रत्येक नागरिक के सिर पर छत हो, रोटी और कपड़े की कोई कमी ना हो। हर हाथ को काम मिलने पर इसका समाधान हो सकेगा। भविष्य में समुचित मात्रा में पानी- भोजन होगा जिसके लिए भारतवासियों को समुन्नत खेती करने के साथ-२ जल संरक्षण का अनिवार्यतः पालन करना होगा क्योंकि  दुनिया में कुल पानी का मात्र ३% ही पीने योग्य है। इन सबके क्रियान्वयन के लिए जनसंख्या की वर्तमान दर को स्थिर कर दिया तो गांधीजी के सपने के अनुसार आखिरी आदमी की आँख के आँसू पोंछ पाएंगे। उस आखिरी आदमी को न्यूनतम आवश्यक मकान, कपड़ा, रोटी मुहैया कर पाएंगे जिससे निम्नमंत्र की सार्थकता सिद्ध होगी-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया:।

सर्वे भद्राणी पश्यन्तु, मा कश्चित दुख भाग भवेत।।

भविष्य में यह जनसंख्या एक चिंता का विषय हो सकती है कि देश की जनसंख्या में दुगनी वृद्धि हो जाए। लेकिन याद रखिए कि ईश्वर ने दो हाथ दिए हैं किन्तु मुँह एक ही दिया है। कहने का तात्पर्य यह है कि खपत से दुगना उत्पादन वाला कर्मयोग श्रेयस्कर होगा तथा हर मुँह को भरपेट भोजन प्राप्त हो सकेगा। अतः जनसंख्या को समस्या मानना नादानी होगी।

२ )  प्राकृतिक   / मानव निर्मित संसाधनों का संरक्षण एवं नियमन :  देश के विकास के लिए मौजूदा संसाधनों के दोहन के साथ-साथ संरक्षण एवं पूर्ण नियमन श्रेयस्कर होगा । जितनी मात्रा मे  प्राकृतिक संसाधनों का  दोहन हो उससे कहीं अधिक मात्रा मे संसाधनों का निर्माण तथा विकास होना चाहिए। मानव निर्मित संसाधन जैसे आवागमन के साधन, उद्योग, कारखानों का उपयोग/ उपभोग देश के विकास एवं प्रगति केरूप मे होना आवश्यक है ताकि निरन्तरता बनी रहे। हमारा उद्देश्य यह होना चाहोये कि देश की नवीन पीढ़ी को खाली हाथ नहीं वरन आवश्यकता से अधिक संसाधन देकर जाने का संकल्प पुरानी पीढ़ी को करना होगा-

       जो जहां है लाम पर है।  मेरा सर देश काम पर है ॥

       अभी-अभी हम जिस महामारी के दौर से गुजरे हैं, गुज़र रहे हैं तो देखा जा रहा है कि स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता आवश्यकता से काफी कम है। तथापि सरकार ने भरसक प्रयास करके उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक से अधिक लोगों को पहुंचाकर वैश्विक महामारी से लाखों जान बचाने का प्रयत्न किया। मेरा सपना है कि प्रत्येक देशवासी की पहुँच डॉक्टर तक हो जिसके लिए  हर स्तर पर उपाय करने होंगे। एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध न हो सके तो वैकल्पिक तौर पर होम्योपैथिक , आयुर्वेदिक, यूनानी चिकित्सक अवश्य मिल जाए। रामदेव बाबा का पूरा देश कृतज्ञ है जिन्होंने सबके लिए योग उपलब्ध कराया एवं भारतीयों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। 

       भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने भी विश्व में झंडे गाड़ रखे हैं। उसमेनिरंतर प्रगति के प्रति सभी आशान्वित हैं। यहाँ ऊर्जा के विषय में उल्लेख करना आवश्यक प्रतीत होता है कि घरों को रोशन करने और कारखाने के पहियों को घुमाने वाली बिजली, आवागमन के साधनों में प्रयुक्त ईंधन आदि में लगातार उत्पादन वृद्धि के साथ-साथ संरक्षण, नियमन से ईंधन प्रत्येक वर्ग की आवश्यकता के अनुरूप उपलब्ध हो सकेगा।

 ३ ) राजनीति : टूटते जीवन मूल्य:- शासन करने कि विभिन्न प्रणालियों में प्रजातन्त्र सर्वश्रेष्ठ प्रणाली होने के बावजूद भारत मे उसका घिनौना स्वरूप प्रकट होता है। अतः उच्चतम मानवीय मूल्यों वाले नर-नारी को प्रशासन/ शासन चलाने हेतु चयनित करना बेहतर होता है, जो देश को अपना समझें और देश कि प्रगति, उन्नति में निस्स्वार्थ योगदान दें। देश के कार्य को सेवा समझ कर करें। हालांकि जनता ने एक बार ऐसा किया भी लेकिन उसका परिणाम कुछ अच्छा नहीं निकल पाया। अंततः ऐसे प्रतिनिधियों पर भी सत्ता का नशा छा गया। उनका आचार-व्यव्हार भी अन्य राजनीतिज्ञों के समान मालूम पड़ रहा है। इसकी रोकथाम के लिए चयनित प्रतिनिधियों का सत्ता से वापसी का अधिकार भी जनता को मिल सके तो उनकी नकेल प्रभावी ढंग से कसी जा सकती है।

       राजनीति करने वालों से जब उच्चतर मानवीय मूल्य, अच्छे चरित्र कि अपेक्षा रहती है , तो देश के नागरिकों का चरित्र भी उच्चतम नैतिक मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। इसके मूल में ‘संतोष परमं सुखं’ होना चाहिए। लोगों को विश्व विजेता सिकंदर की शव यात्रा  को सदा स्मरण कर लेना चाहिए। उनकी शव यात्रा मे तीन विशेषताओं या सिकंदर कि तीन मनोकामनाओं का प्रदर्शन था- एक– दुनिया को हराकर उसने जो जीता था उसे उसके शव पर लुटाना था क्योंकि उस धन को वह अपने साथ कहीं नहीं ले जा सकता था। दो– उसका शव उन हकीमों के कंधों पर ले जाया गया जिनने सिकंदर का इलाज किया था क्योंकि मौत से आज तक कोई जीत नहीं पाया है। तीन- सिकंदर के दोनों हाथ बाहर निकले हुए थे ताकि लोग जान सकें कि विश्व विजेता सिकंदर इस दुनिया से खाली हाथ गया।

४ ) बाहय तथा आंतरिक सुरक्षा:- अब समय आ गया कि देश की पुलिस / सेना उच्चतम स्तर की हो भले ही  विश्व स्तरीय न भी हो। पुलिस आने पर भी के स्थान पर संतोष और विश्वास होना चाहिए कि वे सब ठीक कर देंगें। परिणामस्वरूप मुजरिम सजा से न बच पाए। देश कि सेना की मारक क्षमता का भय आसपास के सभी देशों को होना चाहिए ताकि हमारा देश बाहरी आक्रमण से बचने के साथ-साथ आंतरिक रूप से भी सुरक्षित रह सके।

उपसंहार:-  हमारा देश इतना विशाल और इतनी सारी भिन्नता लिए हुए है कि भारत को उपमहाद्वीप कहा जाता है। देश की महान परंपराओं, उन्नत- अनेकता मे एकता वाली संस्कृति, पीढ़ी-दर -पीढ़ी चले आ रहे उच्चकोटि के संस्कार, भरपूर प्राकृतिक संसाधनों से युक्त देश, विभिन्न लाभप्रद ॠतुएं हैं कि भारतीय समाज में ही मूलभूत संरचनाओं का निर्माण तथा विकास कर समुन्नत हिंदुस्तान बनाना कोई कठिन कार्य नहीं प्रतीत होता है। साथ ही विगत की गलतियों, भूलों एवं कमियों का निराकरण कर एक महान विकसित देश बनाया जा सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के इस हीरक जयंती वर्ष में नागरिकों को भारत देश को बहुत बड़ा आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक राष्ट्र के रूप मे स्थापित करने संकल्प लेना होगा। तथापि यह बहुत बड़ा सच हैकि विगत पचहत्तर वर्षों मे भारत ने इस दिशा में की कदम उठा भी लिए हैं।

हर्षवर्धन व्यास

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