ज़ख़मी दिल

By Aafa Shameem

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 मेरी हालत कुछ इस तरह की रही
 रात भी मेरी दिन जैसी ही रही!

फिर आग लगी है सिने में फिर याद कोई आया है,
बरसो से बंद दरवाजे पे दस्तक फिर कोई लाया है!
एक टीस उठी है सीने मे फिर याद कोई आया है,
दर्द जो दिल मे दफ्न था उसे कुरेदने फिर कोई आया है!
फिर दिल धङका है सिने मे फिर याद कोई अाया है
तुफाने ग़म बन कर मुझ मे बहने फिर कोई अाया है!
एक दर्द भङा है ईस धङकन में फिर जख्म कोई लाया है,
वादा ए वफा कर तंहाई देने फिर कोई आया है!
एक ङर जगा है सिने मे फिर याद कोई आया है,
आगोशे नींद से मुझे फिर से जगाने कोई आया है!
फिर आग लगी है सिने मे फिर याद कोई आया है,
बरसो बंद दरवाजे पे दस्तक फिर कोई लाया है!

By Aafa Shameem, Patna

SOURCEBy Aafa Shameem
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