O Kailasanatha! Imbued with serenity and calm, Like the great Kailah that holds your fiery dreadlocks powerfully...
ओ_भोले_भंडारी
ओ भोले भंडारी हमारे त्रिपुरान्तकारीक्षणभर में हरे आप कष्ट हमारीबबूथ के निःस्वार्थ रंग में घुल जायेंगे सारे पाप हमारेजाने में या हो अनजाने मेंआपके रौद्र रूप के दर्शन से जल जायेंगे जगभर के दुष्कर्म सारेकंठ में नाग के आलिंगन से पढ़े विष की सोच उस ही पर भारीत्रिशूल धारी जग के स्वामीमहायोगी होकर भी हो अंतर्यामीसबकी तृष्णा पूर्ण करेसमय आने पर बनते हैं पापों के संघारीचंद्र देव से सर को सवारकरनवीकरण के शक्ति का संचार कर,गंगे की पथ को आपने अपने अँधेरे केसूओं में धरकर,उसके पवित्रता को बढ़ाया है शंकर,रूद्र स्वरुप भयंकर, जग के अभ्यंकर | By: Sharmila Shankar Write and Win: Participate in Creative writing Contest & International Essay Contest and win fabulous prizes.