दुनिया मे सबसे प्रसिद्ध डायरी

By Sachin Gupta

0
476
Rate this post

डायरी  अर्थात  जीवन से जुड़ी हुई  एक  छोटी सी खाते , जहा हरेक  ब्यक्ति  अपने जीवन के  हर वो सुख दुःख भरी   यादें  तथा अपने अनुभव आदि  ये सबकुछ एक छोटे से कुछ पन्नो वाली खातों मैं लिखते है। आसान भाषा मैं कहा जय तो डायरी जीवन के एक स्टोररूम की तरह है जहा जीवन के हर मनकहीं बाते स्टोर किया जाता हैं ।  बचपन की याद ताज़ा करने मै  डायरी एक उत्तम  गैजेट की तरह काम करती है।  वैसे डायरी  तो हरकोई लिखते है पर उन्नीशवी सधी मैं एक ऐसा दिन भी  आया था जिसकी डायरी पढ़कर दुनिया मै सबकोई हैरान हो गया था। पंद्रह  साल की एक जर्मनी  लड़की की लिखी हुई ये डायरी दुनिया भर मैं प्रशिद्ध हो गयी  थी । दुनिया भर मैं ये डायरी को ‘ डायरीऑफ़  यंगगर्ल ” ये नाम से भी प्रसिद्ध है।  ऐसा क्या कारण है की ये डायरी इतनी प्रशिद्ध हो गयी थी?  ये  बताने के पूर्व उस डायरी की ईतिहास और लेखिका के बारे मैं कुछ जानकारी हासिल किया जाय । 

डायरीकीईतिहास  :-  ये डायरी सन जून १९४२ से अगस्त १९४४ तक ऐनी फ्रैंक नामक पंद्रह साल की एक जर्मन लड़की ने लिखी थी। सन  १९४२  के १२ जून उनकी जन्मदिन पर उनके पिता ने ये डायरी  उपहार दिए थे । उस डायरी को किटी नाम से पुकारती थी। उस समय जर्मनी मै अडोल्फ हिटलर नामक एक खौफनाक दरिंदें राज करते थे। जिसके तमाम  गलतियों के कारण ही दुनिया भर मैं द्वितीय बिस्वयुद्ध की शुरुआत हुई थी  और बहुत सारे नागरिक इस युद्ध मैं अपना जान गवाई  थी । हिटलर तथकलीन जर्मनी मैं ” राष्ट्रीय जर्मन कामगार पार्टी” के नेता थे।  इस पार्टी को नाज़ी पार्टी भी कहा जाता है। उस समय जर्मन के सेना को नाज़ी सेना भी कहा जाता था। हिटलर पूरी तरह यहूदीओ  को नफरत करते थे। उनके आदेश पर ही नाज़ी सेनाओ ने यहूदीओ पर तमाम अत्याचार किये थे। उनके ही आदेश पर जर्मन मै जगह  जगह  कॉन्सेंट्रेशन कैंप नामक मौत के दलदल  बनाये  गये  थे । लाखो लाखो  यहूदीओ  को उस दलदल मै  लाये  जाते  थे और उसे मौत के घात उतार दिये  जाते  थे । 

लेखिकाकेपरिचय:-   ऐनी  फ्रैंक का जन्म फ़्रंकफ़र्ट शहर ,जर्मनी मै  १२ जून सन १९२९ को एक यहूदी परिबार मै  हुई थी ।  उनके  जन्म  जर्मनी मैं  हुई तो थी  लेकिन उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा नीदरलैंड  के ऐम्स्टर्डैम  शहर और उसके आसपास बीते थे क्युकी १९४१ मे उन्होंने अपनी  जर्मन के नागरिकता  खो दी थी । उनके पिता का नाम ओटो फ्रैंक ,माता का नाम एडिथ फ्रैंक और दीदी के नाम मार्गोट फ्रैंक था।जब जर्मन के नाज़ी सेनाओ  का प्रकोप नीदरलैंड देश मैं भी तेज़ी से बढ़ते  गये  तब  नाज़ी सेनाओ से बचने के लिए उनको और  उनके परिवार को एम्स्टर्डम के एक गुप्त स्थान पर छिपने के लिए बाध्य होना पड़ा था।  फिर ४ अगस्त १९४४ को नाज़ी सेना के हाथों पकड़े गए और उनलोगोंको बर्गन – बेलजान कंसंट्रेशन कैंप नामक मौत के दलदल मै  भेजा गया। वहा सेनाओ द्वारा उनलोगोंपर जानवरो की तरह सुलूक़ किया जाने लगा।  सन १९४५ मै तयफोइड बीमारी से वही कैंप मै  ही वो और उनकी दीदी दोनों को ही  मौत  हो  गयी।    

डायरीप्रसिध्यहोनेकाकारण :- १२ जून १९४२ से १ अगस्त १९४४ तक ऐनी फ्रैंक  ये डायरी लिख पायी थी।  इस डायरी के पहले पराओ मैं उन्होंने अपने जीबन के कुछ साधारन घटना ,किसी  से ठीक से बात नहीं कर पाना, अपना बिस्वास,अपना अनुभब ,नीदरलैंड मैं यहूदिओं  का जीवन , विधिनीसेढ अदि ये सब लिखे गए थे लेकिन दूसरी पराओ मैं नाज़िओ का नीदरलैंड मैं प्रकोप , युद्ध की भयंकर गोलीबारी, यहूदिओं  पर अत्याचार, अपहरण,हत्या  आदि ये सब कुछ के बारे मै  व  पन्द्र साल की लड़की ने अपने  इस डायरी मैं लिखी थी।  इस तरह से द्वितीय बिस्वायुध्य  का भयानक नजरिया और उसके प्रकोप दोनों ही इस डायरी मैं दिखाया गया है। इसलिए इस डायरी दुनिया भर मैं प्रशिध्य है।  

डायरीकी  प्रकाशन :-  सन १९४५ मै जर्मनी के करारी हार के बाद द्वितीय बिस्वायुद्ध की विराम होती है।  लेकिन उनकी  परिवार  मै सिर्फ उनकी पिता ही जीबित रहते है।  उनके पिता जब  अपने घर वापस एम्स्टर्डम मै आते है तब वहा पर उनको ऐनी की वो डायरी  है।  १९४७ मै  उस डायरी को पहले डच भाषा मैं ” हेट  एक्टरहईसे” नाम पर एक पुस्तक  के रूप मै प्रकाशित किया गया था।  प्रकाश के बाद ये पुस्तक काफी प्रसिद्ध हो गयी थी।  फिर सन १९५२ मै इस पुस्तक को अंग्रेजी भाषा  मै अनुबाद किया गया था।  उस समय ये पुस्तक का नाम ” द डायरी ऑफ़ ए यंग गर्ल ” रखा गया।  अभी तक दुनिया भर मै  बहुत तरह की भाषाओ मै इस पुस्तक को प्रकाशित किया गया है।  

चलचित्रमै  प्रभाव :-  ऐनी की डायरी ने चलचित्र के दुनिया मैं भी बहुत  सारे कदम रखे  है।  उस डायरी के आधार पर दुनिया के अलग अलग देशो मै ऐनी फ्रैंक के जीवन को लेकर बहुत सारे  चलचित्र बने है।  जैसे अमरिका मै “डी डायरी ऑफ़ ऐनी फ्रैंक”, जर्मनी में ” दास टगबछ देर ऐनी फ्रैंक”, इटली मई “मी रिकार्डो एना फैंक ”  आदि ऐसे बहुत तरह की चलचित्र भिन्न देशो मै  बनायीं गयी है। 

उपसंहार :- मात्र पन्द्र साल तक जीबित इस  लड़की की लिखी हुई इस छोटी सी डायरी ने हिटलर और नाज़ी सेनाओ के काला करतूतो को दुनिया भर मै सूचित किया।  इसलिए इस डायरी को दुनिया के सबसे प्रसिद्ध डायरी कहा जाता है। इसलिए कहा जाता है की बाइबिल के बाद दुनिया मै  सबसे ज्यादा पड़ने वाला ये दूसरा पुस्तक है।  

By Sachin Gupta

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here