मैंने मौत देखी है !

By ऋतीक निखाडे

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अपनो को रूठते देखा है,

सपनों को टूटते देखा है।

नादानियत  में मैंने 

अपने कल को  झूलस्ते देखा है।

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देखी है शहादत मैंने,

ख़ुदा की इबादत देखी है।

मेरे अपनो को मुझसे दूर जाते देख ,

इस दुनिया की मुस्कुराहट देखी है।

मैंने मौत देखी है!

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हाऀ देखी है कयामत मैंने,

मैंने इंतकाल देखा है।

अपने क़तल की साजिश रचते 

अपने हाथो की लकीरे देखी है।

मैंने मौत देखी है।

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रूठा था जब इस दुनिया से,

तब अपने यारो को अजनबी बनते देखा है।

जनाब प्यार छोड़ो, 

मैंने लोगो को दुनिया से धोखा खाते देखा है।

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इमानदारी में अपनी,

लालसा को पनपते देखा है।

बातों में बुजुर्गों की,

तजूर्बे का रास देखा है।

ख़ामोश चेहरों के पीछे छुपा,दर्द देखा है।

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इंतकाल की उस पुकार में,

उम्मिदो की किरणें देखी है।

अकेला पड़ा था जब,

तब खुद को खुद से  

रिहा करने की गुजारिश देखी है।

मैंने मौत देखी है…

By ऋतीक निखाडे

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