यह संपूर्ण बहृमाणड रहस्यमय है।हम जिस ओर अपनी दृष्टि ले जाते हैं , वहीं हमारा सामना एक रहस्य से होता है।और न चाहते हुए भी हमारी जिज्ञासा उस रहस्य तक पहुंचने के लिए हमें विचलित कर देती है। शायद मानव की प्रकृति ही ऐसी है।
मेरे विचार में सबसे बड़ा रहस्य हमारा जीवन चक्र है।आप मनुष्य की उत्पत्ति को ही देख लीजिए,किस प्रकार दो लिंगों के मिलन से इस का एक रूप में आना,और फिर नौ महीने गर्भ में पल कर भ्रूण का विकसित होना हमारे मन मस्तिष्क को झिंझोड़ कर नहीं रख देता?प्रश्नों का सिलसिला यहीं पर नहीं रुकता। फिर मनुष्य का इस संसार में बाल रूप में प्रवेश करने का क्रम भी कुछ कम चौंका देने वाला नहीं।एक अबोध बालक का पलना बढ़ना , और वह सब कुछ सीख जाना जिससे इस संसार में अपने अस्तित्व की रक्षा कर सके आश्चर्य जनक है। धीरे धीरे फिर उसका वृद्धावस्था में प्रवेश करना जहां शनै शनै उसकी सारी शक्तियों का अंतत्व में विलीन होती चली जाती है, एक ऐसे रहस्य का मार्ग प्रशस्त करता है जिसका सटीक उत्तर न तो किसी धर्म के पास है न विज्ञान के पास। आखिर जीवन के अंत के पश्चात क्या? है इस प्रश्न का कोई प्रामाणिक उत्तर। शायद नहीं,और अपने जीवन काल में तो शायद ही कोई इसका उत्तर ढूंढ पाए। भले ही हम स्वयं को आश्वस्त करने के लिए आस्था का सहारा ले सकते हैं।
बचपन में एक ऐसा समय जो सभी के जीवन में आता है जब मृत्यु के बाद क्या होगा,इस का उत्तर जानने के लिए हम सब उत्सुक हो जाते हैं।हम अपने बड़ों का सहारा भी लेते हैं; पुस्तकों के माध्यम से भी अपनी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करते हैं,मगर मन के कौतूहल को शांत करने में विफल हो जाते हैं।
अंत में अपने बड़ों की बातों को मानने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं होता।
अब यहां से हम धर्म की शरण में आ जाते हैं। और वास्तव में हमें उस अदृश्य शक्ति के अस्तित्व का एहसास होता है जिसके पास इस रहस्य की बागडोर है। और तब कहीं जाकर मन को थोड़ी शांति मिलती है।मगर रहस्य अपने स्थान पर बना हुआ है। यह अब भी किसी को नहीं पता के मरने के बाद क्या होगा।
मेरे मन में कई बार यह विचार आता है कि अगर धर्म ना होता तो इस संसार का क्या होता। एक बात पर तो हम सभी सहमत होंगे के धर्म हमें मानवता सिखाता है।धर्म चाहे कोई भी हो ,वह मानव हित, सत्य, परोपकार,प्रेम और त्याग की भावना ही सिखाता है।
हमारी जिज्ञासा की यात्रा हमें धर्म के पड़ाव तक तो ले आती है,मगर रहस्य अब भी अपनी जगह बना हुआ है।
हां इतना जरूर हो जाता है कि हम मृत्यु के पश्चात के जीवन (जो अभी भी अज्ञात है)को बेहतर बनाने के लिए अभी से प्रयास रत हो जाते हैं।और जो हमें एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देता है।
मैं आजकल के समाचार पत्रों को पढ़ कर हैरान हो जाती हूं, जिनके पन्ने मानवता को शर्मशार करने वाली घटनाओं से भरे होते हैं। मेरे मन में एक ही प्रश्न बार बार आता है,कि क्या कभी इनके हृदय में जीवन-मृत्यु के रहस्य को जानने की उत्सुकता नहीं जगी?नि संदेह नहीं! नहीं तो आज उनके हाथों से यह सब नहीं हो रहा होता। वह इस यात्रा से वंचित रह गए जो रहस्य को भेदने के प्रयास में तय करनी पड़ती है।
इस रहस्य के पीछे भागते भागते ईश्वर के प्रति मेरी आस्था बढ़ती चली जाती हैं। मुझे उस अज्ञात शक्ति से प्रेम हो गया, जिसके हाथ में इस संसार का ताना-बाना है।
जीवन-मृत्यु का ऐसा रहस्य जिसको स्वंय ही अनुभव कर के बताया जा सकता है।इसे प्रकृति की लीला नहीं तो और क्या कहूं कि मनुष्य ना अपने आने के अनुभव को साझा कर सकता है न मृत्यु के उपरांत होने वाले अनुभवों का बखान कर सकता है।और यह एक रहस्य ही रह जाता है।
शायद प्रकृति यह चाहती ही नहीं के इस रहस्य से कभी पर्दा उठे। इसमें भी मानवता का कोई हित ही छिपा है। विज्ञान भी इस रहस्य को सुलझाने में असर्मथ ही दिखाई पड़ता है।
वर्षों पहले सम्राट अशोक को भी कलिंगा के युद्ध उपरांत इसी रहस्य को जानने की जिज्ञासा ने हृदय परिवर्तन पर विवश किया होगा।बिखरी हूई लाशों के ढेर ने नश्वरता के रहस्य को जानने के लिए उत्सुक किया होगा।
मेरे विचार से यह संसार का सबसे बड़ा रहस्य बनने में सक्षम है, क्योंकि रहस्य तब तक रहस्य रहता है जब तक कि उस पर से पर्दा ना उठ जाए।उसको जानने की उत्सुकता हमेशा बनी रहनी चाहिए। और शायद दुनिया का यह एक मात्र रहस्य है, जिसको जानने की उत्सुकता हमें मानवता की ओर ले जाती है।
परन्तु वास्तविकता तो यही है कि संसार का सबसे बड़ा रहस्य हमेशा रहस्य हमेशा रहस्य ही रहेगा। यह अज्ञात डर हमेशा हमारी आस्था से जुड़ कर मानवता को संवारने का काम करता रहेगा।
By Shaista Naaz, Bhagalpur
Jeevan Chakra took me to the reality of life which made me feel why do we indulge in so many don’t s in our life cycle.
Very informative write up.. Its amazing….
बहुत सुंदर आलेख।सच्चाई के बहुत करीब।उसी परम सत्ता की शक्तियों को जानने में हमारा सम्पूर्ण ज्ञान विज्ञान अक्षम है ।तभी तो उस नियंता की प्रभुता से इनकार नहीं किया जा सकता।मानव लाख प्रगति का दम्भ भर ले किन्तु वर्तमान में कोरोना का प्रसार और भयावह स्वरूप उसकी औकात बताने को काफी है।इसलिए दोस्त उस शक्ति के रहस्य को समझना मानव के बस में नहीं।बस उसी जीवनचक्र का आनंद लेते हुए उस दिब्य सकती को नमन कर धन्यवाद दें इस बेहतरीन जीवन का।