जब हर कोई मुंह ढ़क कर चलेगा,तब देखेंगे यह शहर कैसा लगेगा,जब हर कोई एक दूसरे से...
'मन ओ मौसुमी'
''मन ओ मौसुमी', यह हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए, भावनाओं को व्यक्त करने और अनुभव करने का एक मंच है। जहाँ तक यह, अन्य भावनाओं को नुकसान नहीं पहुँचा रहा है, इस मंच में योगदान देने के लिए सभी का स्वागत है। आइए "शब्द" साझा करके दुनिया को रहने के लिए बेहतर स्थान बनाएं।हम उन सभी का स्वागत करते हैं जो लिखना, पढ़ना पसंद करते हैं।
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बेटा हुआ तो बात दी मिठाई बचपन से ही उसके सर जिम्मेदारियां आई उम्मीदों के बोझ तले...
काश हम और तुम कुछ ऐसे होते…तुम कुछ पुरे हम कुछ अधूरे होतेलफ़्ज़ों की बंदिशे न होती,कुछ...
ज़िन्दगी तू क्यों इतनी परेशान है ,करती बार-बार मुझे हैरान है।न जाने कब बन गई है तू...
*मझु को तो अकेला रहने दो* क्यों दीप जलातेहो मन में, इस घर में अंधेरा रहने दो,...
अपनो को रूठते देखा है, सपनों को टूटते देखा है। नादानियत में मैंने अपने कल को झूलस्ते देखा...
हमारे पैदा होने के पहले से हमें जानती है वो हमारे कदमों की आहट को पहचानती है...
सोचिए अगर ज्ञान-विज्ञान से भरी विभिन्न भाषाओं में लिखी असंख्य पांडुलिपियों का अनुवाद न किया जाता तो...
माँ की गोद जैसे है बिछौना मेरा, जिसमें है परियों का डेरा, माँ की थपकी से आती...
ना मै अबला हूँ अब ना मैं अबला थी तब । मैं हूँ अब दामिनी मै थी...