जब हर कोई मुंह ढ़क कर चलेगा,
तब देखेंगे यह शहर कैसा लगेगा,
जब हर कोई एक दूसरे से डरेगा , अब सिर्फ़ सैनिक ही नही
हर खास्ता इंसान भीड़ से मरेगा,
हद्द तब होगी जब डराने वाला भी डरेगा,
अगर ज़िंदा रहे तब देखेंगे यह शहर कैसा लगता है,
शायद याद आएगी खूबसूरत काश्मीर की ,
जिसके खूबसूरती कश्मिरी कम ही देख पाता है,
सोचेंगे वो कैसे दिन घर बैठे बिताता है
क्या ताश के पत्तों , रोज़ नया खाना और आइसोलेशन को वो भी जानता है?
तब शायद सीख लें हम अपने शहर को धर्म ,
गुस्से और नफ़रत की जगह
उम्मीद, मोहब्बत और इन्सानियत की नज़रों से देखना।
और तब हम देखेंगे ये शहर कैसा लगता है!!!!
-हर्ष करोतिया
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Very nice.. Must read to everyone..😍🤗
Nice
Nice writing
Superb❤👌
Heart touching lines♥️