इंट्रोडक्शन
- प्राकृतिक संसाधनों की कमी की समस्या को पर्यावरणीय समस्या कहा जाता है
- प्राकृतिक पुर्नप्राप्ति दर से अधिक गति से शोषण के परिणामस्वरूप होता है
- जीवन के निर्वाह को खतरे में डालता दीखता है
- यह समस्या मानव इतिहास के प्रारम्भ से ही अस्तित्व में है
- शिकार और संग्रहण पर आधारित आदिम अर्थव्यवस्था तिकी नहीं रह सकती थी यदि लोग जंगली जानवर को मार दिए होते और बढ़ते हुए मुँह को खिलाने के लिए उनकी प्रजनन झमता से परे पौधो को इकट्ठा किया होता
- संसाधनों की कमी के इस संकट को कृषि प्रौद्योगिकी के विकास और संपत्ति के अधिकार जैसी सामाजिक संस्थाओं द्वारा दूर किया गया
- विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में पर्यावरणीय समस्या विशेष रूप से तीर्व होने के कारण है कि प्रद्योगिकी और संस्थानों में परिवर्तन संसाधन बंदोबस्ती में परिवर्तन पिछड़ गए है
- १९२० से १९३० के दशक के दौरान जनसँख्या विस्फोट की शुरुआत के साथ संसाधनों की कमी तेज़ी से बढ़ी जबकि इस विकास की तुलना में दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए संस्थानों का विकास धीमा रहा है
- संस्थागत समायोजन में यह अंतराल विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में गरीबी और लोगो के बिच भविष्य की खपत और आय के लिए छूट की उच्च दरों के कारण बड़ा हो जाता है
- प्राकृतिक संसाधनों और संरक्षण और प्रदुषण विरोधी गतिविधियों जैसे वनो की कटाई ,मिटटी के कटाव की रोकथाम ,और गैस उत्सर्जन की शुद्धि में निवेश द्वारा पर्याप्त रूप से संरक्षित किया जा सकता है
- इन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत नवाचारों की आवश्यकता होती है जैसे संपत्ति अधिकारों को लागु करना ,प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को विनियमित करना और कर लगाना
पर्यावरणीय मुद्दे
- हमारी हरी दुनिया संकट में है
- मनुष्य ने जल ,मिटटी और वायु को प्रदूषित करके प्राकृतिक संसाधनों को समाप्त कर दिया है
- आखो को खोल कर अब हमें इन् समश्याओ का परिधान चाइये
- औद्योगिक विकास में पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है
- लोग अधिक सुविधा के लिए अधिक प्रदूषण का उत्सर्जन करते है
आइये कुछ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करते है
ग्लोबल वार्मिंग
- प्राकृतिक असंतुलन का सबसे बड़ा लक्षण
- जब ग्रीनहाउस गैसेस जमा होती है और तापमान बढ़ने का कारण बनती है तब हम ग्रीनहाउस प्रभाव देखते है
- विस्व महासागर के स्तर के बढ़ने और आर्कटिक की बर्फ के पिघलने पर पड़ता है
बरती जनसँख्या
- जैसे जैसे आबादी बरती है वैसे वैसे अधिक स्थान और संसाधनों की ज़रूरत होती है
- पेड़ो को काटना आवश्यक हो जाता है और वन प्रजातियों को खतरे में डाला जाता है
ओजोन परत रिक्तीकरण
- ओजोन परत युवी रेज़ को अवशोषित करती है जो मानव के लिए हानिकारक है
- अधिक तीव्र और विकिरण और त्वचा कैंसर में वृद्धि होती है
वनो की कटाई
- पेड़ हवा ,भोजन और दवाइया देते है
- गर्मियों के समय जंगल में आग लगना प्रभाविक है
जलवायु
मौसम परिवर्तन का आद्योगिक विकास पर प्रभाव पड़ता है जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप विनाशकारी तूफान ,बाढ़ और सूखा पड़ा है
प्रदूषण
- प्रदूषित वातावरण विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारन बन जाती है
- वनस्पतियो और वन्यजीवों की कई प्रजातियां जो वनस्पतियो के लिए महत्वपूर्ण है विलुप्त होने के कगार पर है
- पेट्रोलियम रिफायनरीज रसायनो ,लोह और इस्पात ,गैर धातु उत्पादों ,लुगदी और कागज़ निर्माताओं और कपडा उद्योगों वाले छेत्रो में औद्योयोगिक प्रदूषण की समस्या अक्सर गंभीर होती है
पर्यावरणीय मुद्दों के कारन
वायु प्रदूषण
कारखानों की चिमनिया और ऑटोमोबाइल्स की गैस वायु में जाकर बहुत हानि पहुँचती है
कार्बन डाइऑक्साइड ,और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे गैस मानव शरीर वनस्पतियो और जीवो को बहुत हानि पहुँचती है
जल प्रदूषण
लोगो द्वारा मूतना सबसे ख़राब बात है
प्लास्टिक और दूसरे हानिकारक चेमिकल्स नदियों में बहा दिए जाते है
जिससे बहुत सारे बीमारी घर ले लेते है
ध्वनि प्रदूषण
ऑटोमोबाइल्स के हॉर्न ,लाउड स्पीकर्स म्यूजिक सिस्टम अद्वोगिक गतिविधिया इन मुद्दों में योगदान देते है
भूमि प्रदूषण
पर्यावरण का दूसरा श्रोत मिटटी होता है
प्लास्टिक,पॉलिथीन,बोतल आदि जैसे अप्सिष्ठ पदार्थ भूमि प्रदूषण का कारन बनते है
कपड़ो और बर्तन धोना भी गन्दगी फहलता है
पर्यावरणीय मुद्दों को कम कैसे करे
३ आर का सिद्धांत
पुन: उपयोग ,काम करे और रीसायकल करे
एक बार इस्तेमाल करने के बाद चीज़ो को फेकने की बजाए उन्हें दोबारा इस्तेमाल करे
रीसायकल
- कागज़ ,प्लास्टिक ,कांच और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को नए उत्पादों में संसाधित किया जा सकता है
- बेहतर डिज़ाइन वाले उपकरण और धुआँ रहित इर्धन सहित वायु प्रदूषण के उपायों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाना चाइये
- अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाइये
- जनरेटर जैसे साउंड प्रूफिंग उपकरण द्वारा आद्योगिक शोर को कम किया जा सकता है
निष्कर्ष
- हम खुद प्रकृति के एक अंश है
- हमे खुद एक जुट होकर इसकी रक्षा करनी होगी
- प्राकृतिक संसाधनों की उपयोग अच्छे ढंग से करनी होगी
- भविष्य को ध्यान में रखकर हमें आगे बढ़ना होगा
- यह हमारा कर्त्तव्य है की हम हमारी प्रकृति का ध्यान रखे और सर्कार भर निर्भर होना ज़रूरी है
By: AMAAN GOENKA
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