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रचनात्मकता अंतर्निहित है, यह शायद एक चीज़ है जिसे कोई व्यक्ति चुरा नहीं सकता है। रचनात्मकता हमें पंख फैलाने, अपना रास्ता बनाने और अरबों के बीच खुद को साबित करने का साहस प्रदान करती है।
लेकिन आज की दुनिया में प्रतिस्पर्धा का बोलबाला है।
“एक रचनात्मक आदमी हासिल करने की इच्छा से प्रेरित होता है, न कि दूसरों को हराने की इच्छा से।”
दुनिया लगातार बेहतर होने की ओर बढ़ रही है जो केवल प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने का कार्य करता है। किसी के आराम क्षेत्र को छोड़ना, प्रेरणा का एक सामान्य रूप बन गया है। अधिक से अधिक लोग रोजमर्रा के कार्यों से गुज़र रहे हैं क्यों कि जीवित रहने के लिए उन्हें प्रतियोगिता में आगे रहना होगा।
यह बात मुझे अपने विषय पर लाती है कि क्या प्रतिस्पर्धा रचनात्मकता के नाश का कारण है?
मैं इस धारणा का समर्थन करती हूँ।
किन्तु स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और परेशानी पैदा करने वालों के बीच एक महीन रेखा है। एक स्वस्थ प्रतियोगीता, विशेष रूप से किसी के आला के भीतर, एक व्यक्ति को बेहतर होने के लिए प्रेरित करती है। हालांकि, यदि एक प्रतियोगीता सबसे बेहतर होने के विचारों से प्रेरित है, वह केवल विध्वंस की ओर ले जाएगी और इस तरह एक रचनात्मक पक्ष का अंत होगा। जब प्रतिस्पर्धा होती है तो लोग स्वयं की तुलना दूसरों से करने लगते हैं जिससे अनावश्यक तनाव पैदा होता है। तनाव हमें अन्य घटनाओं के झरने में उलझा देता है और एक व्यक्ति को समाज के तरीकों से हौसला त्यागने के लिए मजबूर किया जाता है।
बचपन से ही हमें दुनिया का सामना करने के तरीके सिखाए जाते हैं, चाहे वो पढ़ाई हो, नौकरी आदि हो जबकि कुछ लोग अपने रचनात्मक पक्ष को साबित करने के लिए बहुत कोशिश करते हैं पर उन्हें यह ही सुनने को मिलता है कि रचनात्मकता उन्हें कभी भी सर्वश्रेष्ठ नहीं बना सकती।
अधिकांश उद्योग अपने कर्मचारियों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण बनाते हैं। उनका केंद्रीय लक्ष्य कर्मचारियों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए नेतृत्व करना है ताकि वह कंपनी बाज़ार में आगे रह सके और अधिक लाभ प्राप्त कर सके। जबकि यह रचनात्मक प्रतियोगिता है और कर्मचारियों के बीच सहकर्मी का दबाव खतरनाक हो सकता है। पदोन्नति, वेतन आदि के लिए बेहतर परिणाम प्रदान करने का दृढ़ संकल्प कभी-कभी बुरी तरह से गलत हो सकता है। कभी तो यह आपके आस-पास के लोग होते हैं जो आपको इस विश्वास में धकेल देते हैं कि आपको उन सभी से आगे रहने के लिए अपना सब कुछ त्याग देने की आवश्यकता है।
प्रतियोगिता सहायक होनी चाहिए।
एक स्वस्थ प्रतियोगिता वह है जहाँ लोग समाज के दबाव में न आकर हौसले से समझौता नहीं करते और अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं। एक उत्साहजनक प्रतियोगिता लोगों को अपनी रचनात्मकता को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त साहसी बनाएगी और अपने सपनों का जीवन जीने की ओर अग्रसर करेगी। यह प्रतियोगिता जीवन जीने के कौशल से व्यक्ति को भर देती है जहाँ उनके आराम क्षेत्र से बाहर आना एक अपमानजनक कार्य नहीं है और जहाँ लोग एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।
प्रतिस्पर्धा सहायक होने के साथ-साथ हानिकारक भी हो सकती है जो व्यक्ति के परिवेश और अन्य लोगों पर निर्भर करता है। यह लोगों के दृष्टिकोणों पर भी निर्भर करता है कि वे प्रतिस्पर्धा को संभालने के लिए कैसे तैयार होते हैं।
एक सुनियोजित व्यक्ति अपनी रचनात्मकता को बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच जीने दे सकता है। रचनात्मकता ऐसा ईंधन है जो दुनिया को चलाता है और यह जारी रखना चाहिए क्यों कि इस तरह ही एतिहासिक घटनाएँ घटित होती हैं और हम हर दिन एक बेहतर इंसान बनते हैं।

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