प्यारी – सी मुस्कान अधर पर, नयन कँवल – सा खिला रहे,
भोली – सी सूरत चितवन पर, बोल मधुर – सा मिला रहे |
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बादल जैसे बाल घने, सुरमयी शाम – सी प्यारी है,
पँखुड़ी – सी पलक नैन पर, लगती कितनी न्यारी है |
काजल की घनघोर घटा, तेरे नयनन पर जो छायी है,
अभिभूत सावन की छटा, देख तुझे शर्मायी है |
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सुनहरे बदन सदा, सुर्ख कली – सा खिला रहे,
भोली – सी सूरत चितवन पर, बोल मधुर-सा मिला रहे |
हिरन जैसी चाल तेरी, बलखाती मतवाली है,
गजगामिनी देख तुझे, शर्म से पानी – पानी है |
बोरल आम की डाली – सी, लचके कमर निराली है,
मुंडेरों पर मोरनी भी, देख – देख हर्षायी है |
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चाँद – सा मुखड़ा तेरा, नक्षत्र गगन – सा खिला रहे,
भोली – सी सूरत चितवन पर, बोल मधुर – सा मिला रहे |
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दाने जैसे दन्त तेरे, मुखमण्डल पर सजते हैं,
नभमण्डल में जुगनू – जैसे, जगमग – जगमग करते हैं |
गोल कपोल,अनमोल सरीखे, मन को कितने भाते हैं,
उनपर भी अश्रु मोती के, लुढक – लुढ़क कर जाते हैं |
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काले तिल अल्हड़ होठों पर, भौरें – सा जो फ़िदा रहे,
भोली -सी सूरत चितवन पर, बोल मधुर -सा मिला रहे |
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कंचन – सी कोमल काया, मन को बड़ी लुभाती है,
तरुणाई तन की अदा, बरबस हमें बुलाती है |
मयखाने – से नयन तेरे, नशा प्यार का लाती है,
खुशियों की दिलकश चमन में, होश मदहोश कर जाती है |
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रुपकामिनी, मनभाविनी, गुलशन तेरा खिला रहे,
भूल न जाना हमराही को, सांसों में तू मिला रहे |
~उपेन्द्र प्रसाद
(पटना, बिहार)