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तेज रफ़्तार भाग रही गाड़ी सड़क पार करती हुई एक चूहे को कुचल गई. चुहेराम की घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई. रिसते खून के कतरे, मसाला बन चुकी पसलियां, निकली नीली-अतरियाँ वीभत्स नज़ारे बना रहे थे.  

सामान्य घटना थी. किसी की नजर नही पड़ी. इस बीच एक खोजी पत्रकार वहाँ से गुजरा. नजर पड़ी. गाड़ी रोकी. मुआयना कर कैमरामैन से बोला ‘इस घटना का लाइव कवरेज करते हैं’ कैमरा मैन सकपकाया मगर पत्रकार की दृढमुद्रा देख तर्क न कर सका.

घटना भारतीय परिप्रेक्ष्य में हुआ था, अतः खबर कुछ ही घंटों में महाखबर बन गई. विशेषज्ञों, जीवप्रेमियों, ज्योतिषियों ने बेबाक राय दी और घटना को राष्ट्रीय महत्व का बना डाला. विपक्ष ने घटना को घोर सरकारी लापरवाही बताते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया. भारी विरोध के चलते सरकार को गहन जांच के लिए विशेषज्ञों की समिति बैठानी पड़ी जिसने  छः माह में अपनी  रिपोर्ट सौंपी.

इस महत्वपूर्ण घटना का विस्तार क्रम कुछ इस प्रकार रहा.

पत्रकार: “कैमरामैन संदीप के साथ मै कुलदीप आपको सीधे कटिहार के इस हाईवे पर ताजतरीन घटी दुर्घटना से रु-ब-रु कराता हूँ, जिसमे ठीक पांच मिनट पहले सड़क पार करते हुए चूहे को एक तेज रफ़्तार गाड़ी द्वारा कुचल दिया गया है. चूहे की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी है पर क्षत-विक्षत शव ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है. यह घटना भले आपको साधारण लगे, किन्तु असाधारण है, क्योंकि कल गणेश चतुर्थी है और मूषक गणेश का वाहन होता है, अतः गणेश चतुर्थी के पहले चूहे की दर्दनाक मौत कतई शुभ संकेत नही कहा जा सकता. वैसे भी यह समय चूहे के प्रजनन काल का है. चूहे हमारे मित्र हैं, सदियों से हमारे साथ रहते आये हैं. हमारा जेनेटिक मैचिंग भी चूहों से काफी हद तक मिलता है. ऐसे में चूहे की ऐसी दर्दनाक मौत हमारी असंवेदनशीलता और अमानवीयता को दर्शाती है. आपको बताता चलूं कि जिस गाड़ी ने इसे कुचला वह रुकी तक नही चलती बनी. पीछे आनेवाली कई गाड़ियों ने भी घटनास्थल पर रूकने की जहमत नही उठाई. यह बदलते मानव समाज की असंवेदनशील छवि प्रस्तुत करती है. मृतक चूहे के शव को उचित सम्मान  मिलना चाहिए. आईये, इस घटना पर आस-पास के लोगों एवं विशेषज्ञों की राय लें.”

ये हैं-‘चूहा बचाओ आंदोलन’ के प्रवर्तक राम खेलावन महतो जिनके प्रयासों से कटिहार जैसे क्षेत्रों में चूहे को पकड़कर खाने का रिवाज बंद हो गया हैं. जैव विविधता में इनके इस महान् योगदान के चलतें इन्हें पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है.

“खेलावन जी”, “घटना पर आपकी प्रतिक्रया?” 

‘देखिये, ई चूहा अकेले नही सड़क पार कर रहा था. पूरा गैंग था चूहे का. रोड के ऊ पट्टी से ई पट्टी आपन परिवार, मेहरारु, बच्चा लोगन के साथ आ रहा था. ऐसे में इसको चीप जाना(कुचल देना) बहोत दुःख और अन्याय की घटना है. ई अपराध है, हम प्रशासन से पुलिस से आग्रह करते हैं कि अपराधी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कारवाई करें. देखिये, चूहा खेतिहर लोगन  का मित्र है . बिल बनाता है, मतलब मुफ्त का  खेत जोत देता है. अनाज जमा कर के रखता है, हम लोग अकाल होने पर उसे निकाल लेते हैं. पियाक लोग उसको खोद-खादकर ताड़ी-दारु का दाम निकाल लेते हैं. गणेशजी का असली वाहन तो ईही है. देखिये, एगो मजे का बात बताते हैं. शंकर भगवान ने सांप को गले लगाया उसको बिल नही बनाने आता है, अब कहाँ रहेगा जाड़ा- गर्मी में? चूहा उसको बिल बनाकर रहने के लिए देता है. अब ऐसे उपकारी जीव का हतिया करोगे तो हम कैसे बख्श दें? हम कल धरना देंगें. ऐसन घनघोर अपराध!

“इस बीच हमारे साथ महान ज्योतिष पंडित दीपक पाठक ‘दैवज्ञ’ जी जुड गए हैं. एक ज्योतिषी की दृष्टि से आप इस घटना को किस प्रकार देखते हैं?”

“देखिये, कल बुधवार को गणेश चतुर्थी है और आज दुर्घटना में चूहे का मारा जाना अवश्य ही दुखद है और साथ ही अपशकुन का द्योतक भी. आज मंगलवार है. मंगल एक क्रूर ग्रह है अतः वार क्रूरसंज्ञक हुआ. मंगल बुध को अपना शत्रु मानता है. बुध गणेशजी का दिन है और चूहा गणेशजी का वाहन. अतः चूहा बुध ग्रह का कारक है. अब वाहन एक यंत्र होने के कारण मंगल का कारक हुआ. दुर्घटना दोपहर में हुआ. दोपहर के समय सूर्य काल पुरुष के कुंडली में 10 वें घर में विराजमान रहता है जो कि शनि का घर है. अब शनि के घर में मंगल जाएगा जो कि उसके शत्रु का घर है तो दुर्घटना अवश्य होगी. बुध का मंगल एवं शनि के युति प्रभाव में आना ही दुर्घटनाकारक है. मगर यह दुर्घटना शनि ने नही मंगल ने कराया है. इस प्रकार घटना का ज्योतिष मतों से पुष्टि हुई.

यह घटना दूरगामी महत्त्व की है, कारण, गोचर में मंगल अभी शनि की राशि कुम्भ में रहेंगे पूरे महीने भर. शनि अभी स्वराशिस्थ है. शनि मंगल की युति दुर्घटनाकारक योग बनाती है. दो दिन बाद बुध 9:03 मिनट पर कुम्भ में प्रवेश करेंगे जहां वे अवश्य ही मंगल के विषम प्रभाव से प्रभावित होंगे और कतिपय दुर्घटनाओं का कारण बनेगें. देश की कुंडली में बुध मंत्री का कारक है. मंत्रिगणों को स्वास्थ्य समस्या हो सकती है. मंगलजन्य विकार यथा रक्तदोष, रक्तचाप, स्नायुविक दोष हो सकता है. एक चीज और कहना चाहूँगा यह चूहा जिस घर से निकला है उस घर के अविवाहितों  के स्वास्थ्य एवं धन के रक्षार्थ उन्हें मंगल शान्ति के उपाय करने चाहिए. बन्दर को सेब, गुड़, गाजर खिलाना चाहिए. 

जंतु प्रेमी श्रीधर आचार्य:

देखिये यह मादा चूहा है प्रतीत होती है. इसकी उम्र 1.5 वर्ष प्रतीत होती है. एक मादा चूहा अपने जीवन काल में 1000 चूहे को जन्म देता है. इस प्रकार 1000 मूषक संतति इस दुर्घटना  से प्रकृति को नुकसान हुआ. हमें ध्यान रखना चाहिए कि चिकित्सा जगत् का सारा शोध का आधार चूहा ही है. तमाम बीमारियों की शोधरत दवाईयां का प्रयोग चूहे पर ही होता है. सफल प्रयोग का मतलब हैं उस प्रयोग का मानव पर भी पूर्णतः सफल होना. आज मोटापे, मधुमेह, हृदयरोग की कारगर दवा बनाने में हम सफल रहे. क्यों कारण शोध चूहे पर सफल रहा. जापानी वैज्ञानिकों ने देखा चूहों को भूकंप एवं बाढ़ का भान घटनापूर्व ही हो जाता है और वो आवश्यक रक्षात्मक उपाय पहले ही कर लेते हैं. यानी की आपदा प्रबंधन में कुशलता हम चूहे पर सफल शोध कर प्राप्त कर सकते हैं, जो आज समय की मांग है. मतलब ये कि प्रकृति की इस अनुपम  निधि को यदि यों ही नष्ट करते रहे तो वह दिन दूर नही जब हमारा अस्तित्व हमारी गलतियों से उन्मूलन के कगार पर हो. बस इतनी सी चेतावनी मेरी है जनता और सरकार से. इस दुर्घटना के शोकस्वरूप मैं अभी से 24 घंटे का मौन व्रत एवं उपवास रखता हूँ.

हिंदुत्व समर्थक राजनितिक पार्टी: यह दुर्घटना नही हत्या है. सड़क पार कर रहे चूहे की हत्या. गणेश चतुर्थी के सुबह अवसर पर ये सरकार असामाजिक तत्वों की मदद से मूषक की जघन्य हत्या करवाकर हिन्दुओं की आस्था पर चोट कर रही है. हम इसकी  मकसद को सफल नही होने देंगे. आप बताए चूहे का दूसरा समूह खुशी-खुशी सड़क पार कर रहा था. पर्व के मौके पर कुछ खरीददारी करने निकला हो. कुटुम्बजनों से मिलने निकला हो और आप हत्या करवाते हो. शर्म आनी चाहिए इस निकम्मी सरकार को. जो चूहे को सुरक्षा नही दे सकती वह आदमी को क्या सुरक्षा देगी? यदि रत्ती भर भी नैतिकता बची हो तो यह सरकार तुरंत इस्तीफ़ा दे. 

मार्क्सवादी पार्टियाँ: दुर्घटना नही है यह. सर्वहारा वर्ग पर सुनियोजित हमला है. मगर हम फासीवादी ताकतों एवं उसके मंसूबों को सफल नही होने देंगे. ऐसी जघन्य घटनाएं वर्ग-संघर्ष को जन्म देती हैं. आप सर्वहारे के चहरे पर खुशी नही देख सकते. वह सड़क पर उछलते कूदते निकले, आप जान ले लें. हम कल पोलितब्यूरो की आपात बैठक बुलाकर भावी रणनीति बनाकर आंदोलन करेंगें.

समाजवादी पार्टियाँ: देखिये यह पूंजीवादियों की सरकार है, सत्ता में जब से आयी है गरीबों पर  अत्याचार बढा है, मँहगाई बढ़ी है, अपराध की दर बढ़ी है. मैं कहता हूँ सड़क क्या पूंजीपतियों की जागीर है?यह किसी के बाप की नही है. बड़ी गाड़ी में बैठ गए तो क्या आप किसी की जान की परवाह नही करेंगें. आप बताएं चूहे के परिवार पर क्या बीती होगी? उसके घर का निवाला छिन गया. चिराग बुझ गया. यह सरकार सड़क-सुरक्षा के लिए क्या प्रावधान कर रही  है ?पब्लिक ट्रांसपोर्ट क्यों नही सुधार रही है जिससे चूहे को मजबूरन सड़क पार करना  पड़ता है?. भीड़-भाड़, बस्ती वाले एरिया में स्पीड-ब्रेकर क्यों नही लगाया गया? गरीबों की भूमि अधिगृहित कर आपने हाईवे बनाया, उन्हें भूमिहीन किया, बेघर किया, विस्थापित किया. अब पूंजीपतियों के द्वारा सरेआम सड़क पर कुचलवा रहे हो. डूब मरो शर्म से अत्याचारियों! हम इस घटना से आहत हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष से हमारी अभी-अभी बात हुई. यह मसला कल संसद में गूंजेगी. गली-गली में आंदोलन होगा. महीने की आखिरी सप्ताह में देशव्यापी आंदोलन कर हम सरकार को घेरेंगे.

विभिन्न राजनितिक पार्टियों ने अपनी-अपनी एजेंडे के अनुसार तल्ख़ ब्यान दिए. बयान में सत्ताधारी सरकार के प्रति विरोध था और घटना के प्रति रोष की अभिव्यक्ति. अंततः, सरकार को झुकना पड़ा. एक विशेषज्ञ समिति बैठानी पड़ी जिसे विस्तृत जांच कर ‍‌6 माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया. वांछित रिपोर्ट डेढ़ वर्ष बाद प्रस्तुत किया गया. जिसकी सिफारिस इस प्रकार थी.

  • घटना खेदजनक थी. वर्तमान ट्रेफिक एवं विधि-व्यवस्था में चूहा संरक्षण के हितों का विशेष ध्यान नही रखा गया है.
  • चूहा मनुष्य एवं पर्यावरण का मित्र जीव है. सड़क पार न करे इसके लिए अधोलिखित व्यवस्था हो. 
  • सड़क एवं हाईवे किनारे जगह-जगह अन्न एवं जल की व्यवस्था हो, क्योंकि, चूहा बहुधा अन्न की खोज में ही विशेषकर सड़क पार करता  है.
  • चूहे की विविध प्रजाति का संरक्षण के लिए बोटनिकल गार्डन की तर्ज पर मूषक गार्डन बने.
  • तस्करों एवं चोरों से रक्षार्थ मूषक-मित्र की भर्ती की जाय. स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद भी ली जा सकती है 
  • चूहे द्वारा फसल की हानि पर किसान कुपित हो प्रतिघात कर चूहे को हानि ना पहुंचाए, अतः किसानों को मुआवजा प्रदान किये जाएँ.
  • कमिटी की रिपोर्ट को क्रियान्वयन की अनुमानित लागत 10 करोड़ आकलित की गई. सत्ताधारी दल उहाफोह में है, बुद्धि मना करती है पर माहौल चुनाव का है. आखिर चुनावी समर का श्री गणेश करने का वक्त आ गया है. अब चूहा गणेशजी की सवारी नजर आ रही है. सिद्धि के लिए रिपोर्ट अक्षरशः लागू करना पड़ेगा. लोकतान्त्रिक प्रणाली की विवशता जो है.

कृष्ण कुमार चौधरी

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