मेरा पहला प्यार अधूरा रह गया

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ये आर्टिकल उन लोगो के लिए है जो ये कहते है मेरा पहला प्यार अधूरा रह गया . मुझे अब किसे से प्यार नहीं होगा , मुझे प्यार से नफरत हो गए है ।
मुझे जीने के कोई चाहत नहीं , मै उन लोगो से ये हे कहना चाऊगा.suppose आप किसी मोबाइल शॉप पे गए आपको एक मोबाइल भौत पसंद आया ,
अपने उसको ख़रीदा और घर ले आये कुछ दिन तो उसने आपका साथ निभाया अच्छा चल रहा था. हैंग नहीं हो रहा था टच एक दम स्मूथ चल रही थी, लेकिन कुछ दिनों बाद उसमे प्रॉब्लम आने लगी ,हैंग होने लगा टच प्रॉपर वर्क नहीं कर रही थी लेकिन अपने उसे ठीक करने के कोसिस की केयर पे .दिखाया , कुछ दिनों तो फिरसे सही चला लेकिन धीरे पूरी तरह बंद हो गया तो क्या आप उस फ़ोन को याद कर क़े ज़िन्दी भर रोते रहेंगे क़े मेरा फ़ोन बहोत अच्छा चलता था मै अब कभी फ़ोन नहीं लूंगा नहीं आप ऐसा
नहीं करेंगे आप अगले हे दिन मोबाइल शॉप पे जाएने और नया फ़ोन लाएंगे , तो फिर प्यार में ऐसा को नहीं आपके तलाश एक इंसान पे आके कैसे ख़त्म हो गए कु अपने एक इंसान से प्यार को जज कर लिया मानता हु इस दुनिया में प्यार एक सागर है और प्यार करने वाला एक मोती अब इतने बड़े सागर में ऐसा तो नहीं है क़े आप सागर में हाथ डालेंगे और आपको एक हे बार में मोती मिल जायेगा बार बार कोसिस तो करनी पड़ेगी ना और आप एक बार में ही हार मन गए. श्री हरिवंशराय बच्चन ने भी खा है ….

जो बीत गई सो बात गई

 जीवन में एक सितारा था

माना वह बेहद प्यारा था

वह डूब गया तो डूब गयाी

अम्बर के आनन को देखो

कितने इसके तारे टूटे

कितने इसके प्यारे छूटे

जो छूट गए फिर कहाँ मिले

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अम्बर शोक मनाता है

जो बीत गई सो बात गई

इसीलिए ज़िंदगी में आगे बढिये बीती बातो को याद करके बस मउसी ही मिलती है 

ज़िंदगी कभी किसी क़े लिए नहीं रुकती बस वजह बदल जाती है ज़ीने की इस बात पे मेरे तरह से एक शायरी 

मुदतो बाद निकला जब मै उसकी गली से,

दिल में अजीब सा बोझ था ,

खोगया मै उसकी यादो में 

शायद उसके ना मिलने का अफ़सोस था।

कैर सम्भाल लिया दिलको मैंने जैसे तैसे 

ये कहकर,

जो किस्मत में नहीं है वो मिलेगा कैसे। 

इसलिए  लीव योर पास्ट कुकी हमारे पास एवेंजर एन्डगेम वाली टाइम मशीन नहीं है की हम अपने पास्ट में जाकेउसे बदल सके इसलिए पुरानी बातो को भूल कर अपना आज ठीक कीजिये ज़िंदगी बहोत कीमती है इसे इसे उनके लिए बर्बाद मत कीजिये जिन्हे आपकी फ़िक्र नहीं थी और हमेसा कुश रहिये कुकी ज़िन्दी नहीं मिलेगी दुबारा ।

                   

– शशि भूषण सिंह  

SOURCE शशि भूषण सिंह
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