उद्यमों द्वारा ई-बैंकिंग का उपयोग का अस्तित्व 90 के दशक में आया।
कम परिचालन लागत के कारण बैंकिंग अधिक से अधिक संख्या में अस्तित्व में आई।
पहले यह एटीएम और फोन लेन-देन के रूप में है। हाल ही में इसने ग्राहको और बैंको के बीच एक नये चैनल को इन्टरनेट मे बदल दिया जो दोनो को फायदा पहुंचाता है।
ई-बैंकिंग सेवाओं का मुख्य उद्देश्य ग्राहको को कम लागत के साथ अधिक तेज सेवाएँ पहुँचाना है।
पिछ्ले 20 वर्षो से, बैंकिंग क्षेत्र ने सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति के आधार पर बैंकिंग का एक नया तरीका चुना है। इन ग्राहकों के अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी के आधार पर लेन देन और संचार क्षमताओं को तेज किया जाता है। इलैक्ट्रानिक बैंको की प्रगति स्वचालित टेलर मशीनो के उपयोग के साथ शुरू हुईं
और बाद में ये ओनलाईन बैंकिंग में विकसित हुईं।
ई-बैंकिंग का महत्त्व:
ई-बैंकिंग बैंको और ग्राहको के लिए कई लाभ प्रदान करता है।
ई-बैंकिंग ने बैंको और ग्राहकों दोनों के लिए जीवन को आसान बना दिया है।
ई-बैंकिंग के मुख्य लाभ:
• यह बैंकों में बिताए गये समय को बचाता है।
• यह किसी भी स्थान से 24/7 दिनों में पूरे इंटरनेट पर बैंकिंग प्रदान करता हैं।
• जब भी आप पैसो की निकासी करते है तो आपके मोबाइल मे तुरंत एक संदेश
आ जाता है। जिससे आप अपने खाते की निगरानी अच्छे से कर सकते हैं।
• यह इंटरनेट अनुकूलन के लिए अच्छी तरह से संघठित नकदी प्रबंधन प्रदान करता है।
• यह लेन देन करने के लिए आवश्यक सभी संसाधनों, पूंजी, श्रम के संदर्भ में सुविधा प्रदान करता है।
• एकीकृत बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाते हुए, बैंक नये बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, नये ग्राहक प्राप्त कर सकते हैं और अपनी बाज़ार मे हिस्सेदारी को बढ़ा सकते हैं।
• यह सुरक्षा तकनीकों का प्रयोग करके ग्राहकों को कुछ सुरक्षा और गोपनीयता प्रदान करता हैं।
ई-बैंकिंग क्या है?
ई-बैंकिंग का मतलब है कि कम्प्यूटर सिस्टम का उपयोग इलैक्ट्रानिक रूप से वित्तीय लेन देन करने के लिए किया जाता है।
ईएफटी का उपयोग इलैक्ट्रानिक भुगतान और ग्राहक द्वारा शुरू किये गये लेन देन के लिए किया जाता है जहां कार्डधारक क्रेडिट या डेबिट कार्ड का उपयोग करता है।
लेन देन के प्रकार,
निकासी, जमा, इंटरकाऊंट ट्रांसफर, प्रशासनिक लेन देन है जो पिन परिवर्तन सहित गैर वित्तीय लेन देन को कवर करते हैं। इलैक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर को प्राधिकरण और कार्ड और कार्ड धारक से मेल खाने के लिए एक साधन की आवश्यकता होती हैं। ईटीएफ लेन देन के लिए कार्ड धारक के पिन को कार्ड के जारीकर्ता द्वारा सत्यापन के लिए एन्क्रिपटेड रूप में ओनलाईन भेजने की आवश्कता होती है।
अन्य जानकारियों मे कार्ड धारकों का पता या CV2 सुरक्षा शामिल हो सकता हैं।
इलैक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर लेन देन ई- बैंकिंग प्रक्रियाओं के दौरान सक्रिय होते हैं।
ई-बैंकिंग के विभिन्न तरीके हैं-
• ” ओनलाईन बैंकिंग
• शॉर्ट मेसेज सर्विस बैंकिंग
• टेलिफोन बैंकिंग
• मोबाइल बैंकिंग ”
उपरोक्त सभी प्रक्रियाओं मे से ओनलाईन बैंकिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
और खाता धारकों द्वारा अधिकतम उपयोग किया जाता हैं।
ऑनलाइन बैंकिंग:
ऑनलाइन बैंकिंग जिसे इन्टरनेट बैंकिंग भी कहा जाता है,
ग्राहकों को कम्प्यूटर से सभी बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति देता है,
जिसमें इन्टरनेट एकस है। ग्राहक बैंक द्वारा संचालित सुरक्षित वेबसाइट पर वित्तीय लेन देन कर सकता है। ओनलाईन बैंकिंग में बैंक स्टेटमेंट, लोन, एप्लीकेशन, फंड ट्रांसफर, तथा अकाउंट एग्रीगेशन जैसी सुविधाएँ दी जाती हैं जिससे ग्राहक अपने सभी खातो को एक ही स्थान पर देख सकते हैं।
टेलिफोन बैंकिंग:
टेलिफोने बैंकिंग बैंको द्वारा प्रदान की जाने वाली एक सेवा है
जो गृहको को लेन देन करने के लिए प्रदान करती है। सभी टेलिफोने बैंकिंग सिस्टम कीपैड प्रतिक्रिया या आवाज़ पहचान क्षमता के साथ उत्तर देने वाली प्रणाली का उपयोग करते है।
की उनकी पहचान के आधार पर एक संख्यात्मक या मौखिक पासवर्ड या उत्तर देना होगा।
एस एम एस बैंकिंग:
एस एम एस बैंकिंग एक सेवा है जो बैंको को उपयोगकर्ताओं को मोबाइल से मेसेजिंग द्वारा चयनित
बैंकिंग सेवाएं करने की अनुमति देती है।
बैंको द्वारा कूपर्स को नये ऑफ़र, मार्केटिंग संदेशो अलर्ट के बारे में अलर्ट करने के लिए संदेश भेजे जाते हैं। ग्राहक खाते मे हो रही जैसे एटीएम या क्रेडिट कार्ड से बड़ी मात्रा में निकासी आदि।
निष्कर्ष:
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत मे इन्टरनेट बैंकिंग की सम्भावनायें भारतीय घरो और कार्यालयों मे वर्ल्ड वाइड वेब के बढ़ते प्रवेश स्तर को देखते हुए बहुत अधिक हैं।
बैंको ने इन्टरनेट बैंकिंग सेवायें प्रदान करने की रणनीति को बहुत अच्छी तरह अपनाया है।
एक अधययन से पता चला है कि अधिकांश ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग के बारे मे जानते है।
और उनमे से 50% से अधिक इसका उपयोग करते हैं।
By सपना यादव