सुलझी सी तो दिखती हैं, पर अंदर ही अंदर एक बहस हैं। चेहरे पे तो हस्य हैं,...
'मन ओ मौसुमी'
''मन ओ मौसुमी', यह हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए, भावनाओं को व्यक्त करने और अनुभव करने का एक मंच है। जहाँ तक यह, अन्य भावनाओं को नुकसान नहीं पहुँचा रहा है, इस मंच में योगदान देने के लिए सभी का स्वागत है। आइए "शब्द" साझा करके दुनिया को रहने के लिए बेहतर स्थान बनाएं।हम उन सभी का स्वागत करते हैं जो लिखना, पढ़ना पसंद करते हैं।
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भैया जयपुर की ट्रेन कोन से प्लेटफॉर्म पर आएगी ? मैंने इन्क्वायरी काउंटर पर पुछा प्लेटफार्म न....
समाज का संस्कृति से घनिष्ठ सम्बन्ध है | समाज संस्कृति के बिना गूंगी है | संस्कृति किसी...
अक्सर देखा है कि बहुत से लोग नौकरी से रिटायर होते ही कुछ ऐसा मान लेते हैं...
इस संसार में प्रायः दो प्रकार के मानव पाये जाते हैं. पहले वे जो किसी भी बुरी...
सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हमारे क्रियाकलाप एक सुनिश्चित निर्धारित संरचना के अंतर्गत चलते...
सांसें क्यों इतनी सस्ती हुईं, ये बात समझ न आती है, चिंता क्यों इतनी हुई भारी, जो...
नाराज़गी मेरे ना मिलने से खफा हुए वो, जिनसे मुकम्मल कभी मुलाकात न हुई, मैं कहता रहा,...
क्या लोगों की चीख है लोकतंत्र, या सांसदों में गूंजती आवाज़ है लोकतंत्र? क्या गाँधी के पीछे...
एक मिनट रजनी भाभी डोरबेल बजी है, जरा होल्ड करना। “आ गयी तू” मैंने घडी की तरफ...