किरदार

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एक मिनट रजनी भाभी डोरबेल बजी है, जरा होल्ड करना।
“आ गयी तू” मैंने घडी की तरफ देखते हुए बोला।
हाँ दीदी आज थोड़ा देरी हो गयी सॉरी , वो कल रात…..
अच्छा चल ठीक है , अब जल्दी से काम निबटा ले।
और फिर मै वापिस फ़ोन पे रजनी भाभी से बात करने लगी। रजनी मेरी पड़ोसन है , पास वाले विंग बी मै रहती है।
अक्सर हमारी बाते होती रहती है , कभी बच्चो की पढ़ाई कभी घर की कभी बाहर, ऐसे ही बाते होती है। आज हमें शॉपिंग पर जाना था इसीलिए फ़ोन आया था। बात करते करते मैंने चाय का इशारा किया।
“नहीं भाभी मै तो नहीं जा पाऊंगी आज , फिर किसी दिन रखते है ना !! , आज तबियत ठीक नहीं है। “
“चलो फिर नेक्स्ट वीक रखते है !! ” रजनी भाभी ने कहा।
” हाँ ठीक है ओके बाय भाभी। ” थोड़ी देर मै लक्ष्मी चाय ले आयी । मै फ़ोन रख चुकी थी। ,
लक्ष्मी मेरी नौकरानी है। वो हमारे यहाँ पिछले 7 सालो से काम कर रही है । चार बच्चे है उसके। तीन लड़किया और एक लड़का।
“आज रिया बेबी कॉलेज नहीं जाएगी ? “, “अभी तक सो रही है “, “मैंने उठाया भी ” लक्ष्मी बोली।
“हम्म ” …रहने दे ,नहीं जाना उसको सोने दे”
“अच्छा सुन जरा काम निबटा कर सर मै तेल लगा दे “, “ये माइग्रेन का दर्द फिर से शुरू हो गया है “।
“जी दीदी “… आप चाय पियो आधा दर्द तो अभी ठीक हो जायेगा……..” लक्ष्मी बोली।
अच्छा ठीक है।
लक्ष्मी फिर से काम मै लग गयी और मै चाय ले कर बालकनी मै जा बैठी।
ये मेरा छोटा सा अपार्टमेंट है जुहू मे। हस्बैंड का गारमेंट का बिज़नेस है और दो बच्चे है रिया और रवि।
रिया कॉलेज मे है और रवि ने 11 पास की है। और मैं हूँ।…..शादी से पहले जॉब करती थी लेकिन फिर छोड़ दी ….। अब तो फॅमिली और घर बस ….। इनसे ही टाइम कहाँ मिलता है?
थोड़ी देर अख़बार पर नजर डाली कुछ खास नहीं ……वैसे भी मन नहीं कर रहा कुछ करने को।
ये माइग्रेन का दर्द भी बहोत ख़राब है। कहते है हर 10 मे से 4थी औरत को होता है। उफ़ जान ले लेगा ।
बीच बीच मे लक्ष्मी रसोई से कुछ न कुछ पूछ रही थी क्या सब्जी बनाऊ , इसका क्या करू, उसका क्या करू वगैरह – वगैरह।
“आओ दीदी तेल लगा दू ” लक्ष्मी तेल लेके खड़ी थी
“चाय कैसी थी दीदी?”
“हम्म … अच्छी थी”
“चुप चुप क्यों हो दीदी “,… “बहुत दर्द है क्या ?”
“अच्छा लक्ष्मी कल तेरी बेटी का रिजल्ट था ना 10th का ! , क्या रहा?”
“पास हो गयी दीदी , पूरे 70 % आये है। “लक्ष्मी बोली
“अरे वाह ! ये तो बहुत अच्छी बात है ,चल खूब पढ़ाना उसे ….. ” ,”हमारी गोवेर्मेंट खूब कर रही है बेटियों की शिक्षा के लिए”। मैंने उसको बधाई देते हुए कहा।
“हाँ दीदी , मैं तो यही चाहती हूँ की वो खूब पढ़े…. ,वो भी डॉक्टर बनना चाहती है, पर मेरा आदमी नहीं मानता। “
“स्कूल छुड़ाने को कह रहा है। कहता है अब शादी कर देंगे। ”
“तो समझा अपने आदमी को….”
“इधर से …… यहाँ से थोड़ा हलके हलके से मालिश कर बहुत दुःख रहा है। ”
“अरे दीदी मैं अनपढ़ गंवार और मेरा पति एक नंबर का शराबी….. ज्यादा पढ़ा लिखा भी नहीं है , पांचवी पढ़ा है बस ……, कुछ घुसता है क्या उसके भेजे मे ”
“छोड़ो आप नहीं समझोगे……… हमारी जिंदगी आपकी जिंदगी से बिलकुल अलग है “
कल रात…. कल रात इसी बात पे बहुत लड़ाई हो गयी……मेरे को मारा…..मेरी बेटी को मारा…..बहोत हंगामाँ किया उसने……” लक्ष्मी बोले जा रही थी एक ही सांस मे।
“चल अब छोड़ शांत हो जा…..” मैंने उसको हाथ रोकते हुए कहा।
मालिश करते करते हाथ रुक गए उसके फिर अचानक बोली ” सच दीदी मैं बहुत बेकार माँ हूँ…. अपनी बेटी के सपने पूरे नहीं कर सकती ……. न मेरी माँ ने पढ़ाया मुझे न मैं पढ़ा सकी उसको……. हमारा तो जनम ही बेकार है। “
“बस कर अब मालिश,,,, जा हाथ धो ले और हाँ थोड़ी चाय बना ले तू भी पी ले……… ऐसे दिमाग खराब मत कर” मैंने उसे रोकते हुए कहा, नहीं तो अभी थोड़ी देर मे रोने लग पड़ती।
लक्ष्मी चाय लेकर आयी और वही मेरे पास बैठ गयी।
“चाय बहुत अच्छी बनाती है तू लक्ष्मी ” मैंने उसका मूड अच्छा करने के लिए थोड़ा बात शुरू की।
“थन्कु दीदी ”
“एक बात बोलू दीदी …. मैं भी पड़ी लिखी होती तो मेरी बेटी की जिंदगी मैं सँवार सकती थी…… है ना “
“जैसे आप ………….. आप कितने पढ़े लिखे हो , साब भी पढ़े लिखे है। आप की बात समझते है। “
सच मे दीदी पढ़ाई से औरतो को ताकत मिलती है वो अपनी बात बोल सकती है …… है ना। “
“तभी तो आप लोग रिया बेबी को इतना पढ़ा लिखा रहे हो ….किस्मत वाली है रिया बेबी “रिया बेबी के सब सपने पूरे कर सकती हो आप “
लक्ष्मी बोले जा रही थी…..
उफ़ ये अचानक दर्द फिर से उठने लगा…… हथोड़े चला रहा हो जैसे कोई।
“दीदी आपका कप खाली हो गया क्या ? लाओ मे धो देती हूँ फिर मे भी जाऊ घर , “और आप भी सो जाओ थोड़ी देर…. बहुत सर खा लिया आपका आज ” हॅसते हुए बोली लक्ष्मी
“हम्म”, ये ले” कप दिया उसको और लेट गयी मैं।
मैं पढ़ी लिखी हूँ……????, औरत मे ताकत पढ़ाई से ……????
मैं….. मैं तो बिलकुल लक्ष्मी जैसी ही हूँ……..क्या फर्क है उसमे और मुझमे …..वो और मैं …..एक ही तो है …..हम दोनों बस एक औरत ही तो है ……औरत जो न गरीब होती है न अमीर ,,,,, न अनपढ़ ना पढ़ी लिखी।…….वो तो बस एक औरत ही होती है….कही भी ,,,किसी भी युग मैं ,,,,काल मैं ,,,,, हर परिस्थिति मैं उसकी एक ही नियति होती है……..”
सहते रहना ,,,,, चुप रहना ,,,,!!!!!! शिक्षा ,समानता ,आजादी ये सब खिलोने है औरत को सिर्फ और सिर्फ बहलाने के लिए ……..
कल रात को यहाँ इस फ्लैट मैं रिया के पापा ने भी एक फरमान सुना दिया ……रिया अब आगे नहीं पढ़ेगी !! कुछ करना है तो कोई छोटा मोटा डिज़ाइनिंग का कोर्स करा देते है। रिया का बचपन से सपना था अफसर बनने का , कलेक्टर बनने का…. कुछ बड़ा ही बनना था उस। पिछले 15 दिन से आईएएस की तयारी के फार्म लेकर रखे है घर पर पापा को मनाने को….. कब से पापा को समझाने की कोशिश कर रही थी। कल रात को…. उसके पापा ने गुस्से मैं फार्म ही फाड़ दिया और साफ़ मना कर दिया की आईंदा से ऐसी कोई हरकते ना करे …..तुम आगे नहीं पढ़ोगी,,,, ये कलेक्टर वलेकटर का सपना छोड़ो ,,,, कलेक्टर बनकर क्या करोगी संभालना तो घर परिवार है ना ,,,,,कलेक्टर बनते बनते शादी की उम्र निकल जाएगी…..कुछ नहीं पढ़ा इन चोचलो मे…… शादी करो और घर सम्भालो जैसे सब अच्छी लड़किया करती है ,,,, जैसे तुम्हारी मम्मी ने किया नानी दादी ने किया ।
कितना रोई थी रिया….. मेरी ओर देखा की मैं पापा को कुछ समझाऊ…… लेकिन मैं ,,,,, मुझमें भी वो ताकत नहीं जिसकी बात अभी लक्ष्मी कर रही थी …..मैं भी बेकार माँ हूँ …. मैं भी सपने पूरे नहीं कर सकती रिया के।
“दीदी मैं जा रही हूँ ,,,, आप सो जाना ….दरवाजा बंद करलो।
“हाँ ठीक है”,,” जा तू….कल टाइम पे आ जाना”
सर बहुत जोरो से घूम रहा था….. लक्ष्मी, उसका वो शराबी पति ,उसकी बेटी , मैं ,मेरे पति , मेरी रिया …….
सब किरदार जैसे पानी मैं भीग कर अपना रंग छोड़ रहे हो और सब रंग आपस मैं मिल गए ……ऐसे मिल गए जैसे सबको अलग अलग पहचान पाना मुश्किल हो……

लेखक परिचिति : शीला डागर, बिज़नेस वुमन, जोधपुर( राजस्थान)


SOURCEशीला डागर
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