घरों में घरेलु हिंसा हमेशा से ही एक विकट व् दर्दनिये समस्या रही है । लोग घर की औरतों को शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करते रहे है । आज के वर्त्तमान कल में यह समस्या कम होने की बजाये और बढ़ रही है । अनपढ़ हो या पढ़ा लिखा, दोनों ही तरह के लोग अपने अहंकार के चलते इस प्रताड़ना को और बढ़ा रहे है । १९८० के दशक के दौरान जिस तरह दहेज़ प्रथा एक दनयहीन प्रताड़ना थी और कहीं जगह पर आज भी है, इसी तरह घरेलु हिंसा भी एक मुश्किल समस्या है ।
क्यों है यह घरेलु हिंसा? इसका कारण क्या है ? इसका समाधान कैसे हो ?
हमारे दुनिया में शुरू से ही एक पुरुष प्रधान समाज का होने का दावा किया जाता है जो की कही हद तक सच भी है। पर ऐसा इसलिए नहीं है की लड़कियाँ और औरतें कमज़ोर है,अबला है या फिर कम पड़ी लिखी है बल्कि जरुरत से ज्यादा आदमी को सम्मान देना, अनुकूल बनना, घर में शांति बनाये रखना और गलत बातों पर ऊँगली न उठाना या मुँह बंद रखना,औरतों की कमजोरी समझी जाती है जिसका फायदा पुरुष ऊंची आवाज में बोलकर या फिर मार पिटाई करके दिखता है और मानसिक और शारीरिक तौर पर महिलाओँ पर अत्याचार करता है । इसी कारण से महिलाओँ को घरेलु हिंसा का शिकार होना पड़ता है ।
हमारे समाज के एक बहुत बड़े वर्ग में यह देखा गया है की जब भी किसी के यहाँ लड़की जन्म लेती है तो समाजवाले उसको सहानभूति की द्रिष्टी से देखते है । माता पिता के माथे पर चिंताओं की लकीरें पैदा हो जाती है। लड़की का जन्म लेना उनके लिए जिम्मेदारी बन जाती है । येहि एक बहुत बड़ा मिथ्याबोध है । समाज को चाहिए लड़की के जन्म पर ख़ुशी जाहिर करे , माता पिता लड़की को एक जिम्मेदारी न समझ कर अपितु उसको एक जिम्मेदार इंसान बनाने की कोशिश करे ताकि उसका भविष्ये उज्वल रहे । लड़की को पढ़ाये लिखाये ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। उसको अपनी आत्मरक्षा करने के लिए युद्धकला का कौशल सिखाएं ताकि किसी भी प्रतिकूल परिस्तिथि में वह अत्याचारियों का सामना साहस से कर सकें ।
हम लोग देवी सरस्वती, देवी लष्मी, देवी पार्वती की पूजा तो करते है ,चाहते है वो हर घर में विद्यमानं रहे लेकिन जब येहि देवियाँ लड़की के रूप में जन्म लेती है तो हम उनका तिरस्कार करते है। लड़की का जन्म जैसे एक बोझ लगता है और यहीं से यह अपमान शुरू हो जाता है जो आगे जा कर घरेलु हिंसा का कारण बन जाता है । लड़की बीस पच्चीस साल एक जगह बिता कर शादी के बाद अपना सब कुछ छोड़ कर एक नए घर में नए लोगो के बीच में प्रवेश करती है और उससे सब की यह उम्मीद होती है की वह सारे संस्कार निभाए, सबसे मिलजुलकर रहे, वह सब कुछ अपनाये चाहे उसके मन का हो या न हो, चुपचाप बस मुस्कुराती रहे। लड़की के माता पिता भी गलत बात पर चुप ही रहना पसंद करते है कही लड़की के ससुराल वाले बुरा न मन जाये । लड़की कितनी भी पड़ी लिखी क्यों न हो, घर का काम जरूर आना चाहिए । अगर लड़की ठीक समय से लड़का पैदा न करे ,तो उसकी सारी पढ़ाई और उसका सारा हुनर बेकार हो जाता है । यह सारी चीजें एक मानसिक तनाव पैदा करती है । अगर लड़की अपना पक्ष रखना चाहये, बोलना चाहये ,किसी गलत बात का विरोध करना चाहये तो उसे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है । कभी दहेज़ के कारण तो कभी संतान न होने के कारण ,कभी घर के काम के कारण तो कभी अपनी मन का करने के कारण ,अनगिनत ,बेबुनियाद कारणों से नारी को घेरलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है जो की हमारे संसार के लिए एक बहुत शर्मसार बात है ।
जिस तरह १९८० के दसक में दहेज़ प्रथा के विरूद्ध माता, पिता और खुद लड़की ने एक ठोस कदम उठाया था ,दहेज़ देने से इंकार कर ,दहेज़ लेने वालो के खिलाफ सख्त रुख इख्तियार किया ,उनकी पोलिस रिपोर्ट की ,दहेज़ लेने वालो की पिटाई की , खुद लड़की ने दहेज़ का विरोध करते हुए ऐसे लड़को से शादी करने से इंकार किया जो दहेज़ मोहि होते थे तभी इस समस्या का समाधान हुआ और समाज में परिवर्तन भी आया व दहेज़ लेना देना कम हुआ । उसी तरह ही समाज के युवा एवं माता पिता को घरेलू हिंसा के खिलाफ एक और कदम उठाना पड़ेगा तभी इस घिनौनी बीमारी का सफाया हो सकेगा ।
लड़की कभी भी अपना आंकलन कम न करें। वह हमेशा सही का साथ बिना किसी डर के दे । अपना पक्ष बेखौफ रखें और अपने आप को आत्मनिर्भर बनाये । युद्धकला में निपुण हो ताकि अपनी आत्मरक्षा कर सकें । माता पिता लड़की का मनोबल बढ़ाये और हमेशा उसके साथ रहने का आश्वासन दे । हर लड़की को चाहिए अपनी शिक्षा पूर्ण कर अपना व्यवसाय या नौकरी करें ताकि किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े ,अपने आप को आर्थिक मजबूती प्रदान करें । हर इंसान का कर्तव्ये है की वो अपने देश के लिए कुछ बेहतर करें क्योंकि वह पहले अपने देश का नागरिक है और फिर बाद में स्वयं का ।
सरकार को भी घरेलु समस्या के खिलाफ सख्त कानून बनाने चाहिए । जो कोई भी लड़कियों के साथ हिंसा करते पकड़ा जाये या खुद लड़की इस बात की शिकायत दर्ज कराये ,उस इंसान के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो और जल्द से जल्द उसे उचित सजा मिले । सख्त कानून और जल्द सजा लोगो के मन में घरेलु हिंसा के खिलाफ डर पैदा करेगा और इस तरह यह दुष्कर्म कम होगा ।
जय हिन्द
नीलू गुप्ता