हम सब हिन्दुस्तानी हैं,
हिंदी हमारी मातृभाषा।
इन्द्रधुनष सी रंग बिखेरे,
मोर पंख सी सुंदर भाषा।
सरल सहज कोमल भावों से,
सजी धजी है हिंदी भाषा।
नये जमाने में हिंदी को,
भूल रहे सब हिन्दुस्तानी।
बच्चे हिंदी से दूर हो रहे,
ऐसे मात पिता अज्ञानी।
सभी बड़ों का कर्म है ये,
बच्चों में हिंदी प्रेम बढ़ाना।
आसमान में तभी चमकेगी,
हमारी सुंदर हिंदी भाषा।
छंद ,अलंकार, उपमाओं से,
भाव व्यक्त करती भाषा।
भाँति भाँति की हैं विधाएं,
इसी से उत्तम हिंदी भाषा।
संस्कृति और संस्कार की,
पहचान कराती हिंदी भाषा।
आओ सब दृढ़ प्रतिज्ञ हों,
और गर्व से बोलें हिंदी भाषा।
रचयिता: श्रीमती नूतन श्रीवास्तव, लखनऊ, उत्तरप्रदेश
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