महामारी के वक्त जब प्रकोप संपूर्ण राष्ट्र पर प्रभावी हो जाए तो सुदृढ़ निर्णय और सरकारी व्यवस्थाएं ही लोगों का सहारा बन जाती है। आज भारत समेत संपूर्ण विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का प्रकोप झेल रहा है। जहां प्रतिदिन हजारों लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। आज हर राज्य में लोगों को अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था की आवश्यकता है लोगो को ऑक्सीजन, बेड और तमान स्वास्थ्य उपकरणों की आवश्यकता है और तमाम सरकारों को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझनी चाहिए और उपलब्धता के लिए कटिबद्ध होना चाहिए। जब मौत का तांडव और कुव्यवस्था का दौर देखने को मिल रहा है तो सवाल सियासत पर खड़ा होगा। सवाल सरकार और विपक्ष दोनों के जनप्रतिनिधियों से होगा व्यवस्थाओं के दौर में कुव्यवस्था और लाचार पड़ी अस्पतालों के हालात नजर आएंगे तो सवाल तो उठेगा? लाखों करोड़ों के बजट हर वर्ष जनता के सामने पेश किए जाते हैं मगर आज जब जरूरत है तो सब नाकाम नजर आती है। मगर आज हम सभी को साथ आकर इस जंग में जन भागीदारी निभानी चाहिए थी तो हम सब राजनीति को इतना हावी क्यों होने दे रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का ये दौर राजनीतिक दलों को आगे ले जा सकती है परंतु राष्ट्र और लोगों को नहीं। सियासत जब जिंदगीयो पर हावी हो जाए तो राजनीतिक दलों को शर्म आना चाहिए। यह समय साथ मदद करने का है लोगों को जागरूक और उनके साथ खड़े होने का है अगर आज भी हम सब राजनीति करते रहेंगे तो बहुत कुछ खो देंगे। सवाल सरकारों पर होंगे और तमाम व्यवस्थाओं पर होंगे परंतु इस अदृश्य महामारी के बाद आज देश में राजनीति से ज्यादा लोगों को किस प्रकार से सुरक्षित रखा जाए और सुरक्षित किया जाए ये हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए हम सब एक होकर राजनीति से परे राष्ट्र के लिए लड़े तो बहुत जल्द इस पर हम लोग कामयाबी भी पा लेंगे। जो सवाल है वो सरकारों से पूछा जायेगा और सरकार को इसका जवाब देना होगा मगर अभी साथ आकर इस जंग में भागीदारी निभाएं।
आयुष राज (आरा) बिहार