तलब होनी चाहिए कामयाबी की, नही तो ख्वाईशो की इमारत ढह जाती है,
वह जुनून होना चाहिए जीत का, नही तो सपनो में तो पूरी दुनिया इठलाती है I
मस्तिष्क से लेकर हृदय तक, लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता एक रखो तुम,
नही तो तुमसे अपना कार्य सिद्धः, यह बनावटी ही करवाती है I
प्रयत्न के बगैर, लम्हे गुजर है जाते, फिर वह तुम्हारी राह ना देखेंगे,
परिथितियों का आगमन कुछ यू होगा, की वह तुम्हे तुमसे ही दूर धकेलेंगे I
दुनियावाले, एक बात कहेंगे, एक बात सुनेंगे, हसी ठिठोल में दिन गुज़रेंगे,
परन्तु, तुम्हारी विजय के पश्चात, यह सारे कप्ती तुम्हारे आगे अपनी तस्वीर सुधारेंगे I
सींच दो, अपने उद्देश्य को मन की कोमल क्यारी में,
चुपचाप मेहनत कर बंधु, मचाने दे अपनी कामयाबी को शोर फिर इस दुनिया
सारी में I
तोड़कर सारी ज़ंजीरें, हौंसले बुलन्द अपने कर तू,
छीन के किस्मत से कामयाबी, पूरे विश्व का परचम बन, उभर तू I
मुँह तोड़ दे जवाब हर उस तेरे ठिठोल पर,
दुनिया का मुँह खुला का खुला छोड़, उठ खड़ा हो अपनी हर चोट पर I
परन्तु, इस दृश्य के लिए
तलब होनी चाहिए कामयाबी की, नही तो ख्वाईशो की इमारत ढह जाती है,
जज़्बा, जुनून और लगन : याद रख दुनिया इन्हीं के दम पर जीती जाती है I
गाँठ बांठने की है बात एक, क से कोयला, क से कुंदन बन जाता है,
क्षण ही लगते वक़्त की वेग बदलने में, जाने कब एक रंक, राजा बन जाता है I
मानया मुंजाल