कामयाबी की राह

By मानया मुंजाल

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तलब होनी चाहिए कामयाबी की, नही तो ख्वाईशो की इमारत ढह जाती है, 

वह जुनून होना चाहिए जीत का, नही तो सपनो में तो पूरी दुनिया इठलाती है I

मस्तिष्क से लेकर हृदय तक, लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता एक रखो तुम,

नही तो तुमसे अपना कार्य सिद्धः, यह बनावटी ही करवाती है I

प्रयत्न के बगैर, लम्हे गुजर है जाते, फिर वह तुम्हारी राह ना देखेंगे,

परिथितियों का आगमन कुछ यू होगा, की वह तुम्हे तुमसे ही दूर धकेलेंगे I

दुनियावाले, एक बात कहेंगे, एक बात सुनेंगे, हसी ठिठोल में दिन गुज़रेंगे,

परन्तु, तुम्हारी विजय के पश्चात, यह सारे कप्ती तुम्हारे आगे अपनी तस्वीर सुधारेंगे I 

सींच दो, अपने उद्देश्य को मन की कोमल क्यारी में,

चुपचाप मेहनत कर बंधु, मचाने दे अपनी कामयाबी को शोर फिर इस दुनिया
सारी में I 

तोड़कर सारी ज़ंजीरें, हौंसले बुलन्द अपने कर तू,

छीन के किस्मत से कामयाबी, पूरे विश्व का परचम बन, उभर तू I 

मुँह तोड़ दे जवाब हर उस तेरे ठिठोल पर,

दुनिया का मुँह खुला का खुला छोड़, उठ खड़ा हो अपनी हर चोट पर I 

परन्तु, इस दृश्य के लिए

तलब होनी चाहिए कामयाबी की, नही तो ख्वाईशो की इमारत ढह जाती है, 

जज़्बा, जुनून और लगन : याद रख दुनिया इन्हीं के दम पर जीती जाती है I 

गाँठ बांठने की है बात एक, क से कोयला, क से कुंदन बन जाता है,

क्षण ही लगते वक़्त की वेग बदलने में, जाने कब एक रंक, राजा बन जाता है I 

मानया मुंजाल

SOURCEमानया मुंजाल
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