हमारा अपना एजुकेशन सिस्टम

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आज जितने भी हमारे देश में गलत काम हो रहे है .उसका एक कारण बल्कि सबसे बड़ा कारण हमारा बिखारा हुआ देश व एजुकेशन सिस्टम है .अगर देखा जाए किसी देश का एजुकेशन सिस्टम सही नहीं है तो वो देश आगे विकसित हो ही नहीं सकता. हमारी सॉसों का कुछ पता नहीं कब है कब नहीं कोई नहीं बता सकता पर फिर भी हम ये सोचकर अपनी इच्छाएं मारते है कि जब पैसा आ जाएगा तब अपनी इच्छाएं पूरी कर लेंगे जब नौकरी लगेगी तब अपने मॉ बाप के साथ रहूंगा ,और ये सब सोच हमारे अपने एजुकेशन सिस्टम से दी गई है .हम धीरे धीरे करके जनेंगे की हम कहां गलत है.

इंडिया की पढ़ाई जो एक तरीके से बच्चों को ज़्यादा चीज़े कैसे रटी जाए वो सीखाती है ,हम बच्चों के दिमाग में वो समझ आए या न आए पर हमको कुछ भी करकर उसको याद करना है और आज ये एजुकेशन सिस्टम सभी के दिमाग में डाल चुका है. 

तो आज सबसे पहले हम एक स्कूल के रिवाज़ जानेंगे मतलब नियम कायदें कानून जो हर बच्चे को स्कूल में रहने के लिए मानने ही पड़ेगे .तुम  स्कूल सिर्फ पढ़ने के लिए ही आते हो जिस तरह स्कूल वाले बोले वैसे बाल कपड़े पहनकर आना है और अगर तुम गाली देते हुए पकड़े जाओ या फिर मार पीट करते हुए तो तुम गंदे बदमाश बच्चे हो एक टीचर क्या करता है बच्चे को सबके सामने डॉट देता है और बच्चे के लिए वो उसकी बेइज्जती से कम नहीं होता फिर वो बच्चा सोच लेता है ये टीचर बेकार है ,पर अगर वही टीचर उस बच्चे को समझाए और ऐसे समझाए की बच्चे को महसूस हो की हाँ गलती उसी की थी. पर एक बात है जो स्कूलों में बहुत गलत होती है अगर बच्चा किसी के बारे में उलटा सीधा बोलता है तो वो गलत है पर अगर कोई टीचर दूसरे टीचर की बुराई करता है तो वो सही है समझ नहीं आता क्यों और कैसे. अगर स्कूल में बच्चा गाली देता हुआ पकड़ा गया तो बच्चा ये सब चीजें अपने मॉ बाप सीखता है तो फिर अगर प्रिंसिपल

का बच्चा गाली देता है.तो हम क्या बोले की ये तू किससे सीखा है .जिस तरह आपको बुरा लगता है उसी तरह उस बच्चे को भी बुरा लगता है. 

और अब बात करेंगे की हम पढ़ते क्या है और हमें वो पढ़ाया कैसे जाता है .हम अंग्रेजी भाषा पढ़ते है पता नहीं क्यों एक तरह से बच्चों के भीतर ये भावना आ जाती है जो अंग्रेजी बोलता है वो बुद्धिमान है और जो नहीं बोल पाता वो अनपढ़ है एक तरह से बोला जाए तो वो बच्चा पढाई में अच्छा नहीं माना जाता है .और कुछ टीचरों को तो सिर्फ लिखवाने से मतलब होता है. फिर हम इतिहास पढ़ते है चलो माना तुम इतिहास इसलिए पढा़ते हो जिससे जो गलती पहले हो चुकी है वो दुबारा दौराही न जाए पर यार तो तुम इनसे रिलेटेड तो कुछ पढा़ते नहीं हमको ये बोल देते हो कि ये सारी तारीके बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पेपर में अक्सर आती है तो मतलब हमको सीखाया कुछ नहीं जाता बस ये बताया जाता है कि पेपर में अच्छे नंबर कैसे लाए जाए .अब हर विषय में कुछ न कुछ गलत है .अगर कुल मिलाकर बात करी जाए तो इंडिया में हमको नंबरो से फर्क पड़ता है बच्चे की रचनात्मकता 

 एक तरह से स्कूल वाले नंबरो के बोझ के तले खत्म करवा देते हैं .

और अगर आपका बच्चा अच्छे नंबर नहीं लाता तो आपका बच्चा बेकार है .आपके बच्चे का भविष्य खतरे में है .और मॉ बाप बच्चे पर चिल्लाना शुरू हो जाते है कि तू अगर अच्छे नंबर नहीं लाएगा तो अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी और नौकरी नहीं तो पैसा नहीं मतलब जिंदगी खत्म ये सोच बना रखी है हमने और इसी कारण से कॉफी बच्चे अपनी जान तक दे देते है ये सोचके कि हम नंबर नहीं ला पाए मतलब हम जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते .क्योंकि पैसा तो उन्हीं के पास है जिनके पास नंबर है .

हम है इन सब चीजों का कारण भगवान ने मुंह में जुबान दी है न तो लड़ते क्यों नहीं बोलते क्यों नहीं कुछ . कब तक हर कोई बच्चा ये सब सहता रहेगा और फिर बोलते हो कि देश आगे नहीं बड़ रहा अरे कैसे बडे़गा जब तुम भविष्य के छाती पर चढ़कर अच्छे नंबर अच्छे नंबर अच्छे नंबर का तडाव करोगें. 

हम बच्चो के  लिए  जो काम की चीज़ है वो तो स्कूल में बिल्कुल सीखाते नहीं. जैसे कि आत्मरक्षा जो की कितना जरूरी है, फिर बच्चो को गलत सहना चुप चाप जो हो रहा है उसको देखते रहना इन सब के बारे में कोई शिक्षा नहीं, बच्चे को सही गलत का फर्क कोई नहीं समझाता, आत्मविश्वास कैसे होना चाहिए इन सब चीजों के बारे में कोई भी नहीं समझाता. पूरा टाईम theory के पीछे पड़े रहते हैं practical सिर्फ नाम का होता है मतलब जब practical की बारी आती है तब तक साल खत्म होने को आता है और सब को मुफ्त के नंबर दे दिए जाते हैं .और ये ही कारण है कि बच्चों को कुछ समझ क्यों नहीं आता पर कोई भी इन सब चीजों के बारे में सोचता नहीं क्योंकि  उनको लगता है कि ये  कोई बड़ा मुद्दा है ही नहीं जिसपे आवाज़ उठाई जाए क्यों यार कब बोलोंगे जब कॉफी बच्चे अपनी जान देना शुरू कर देंगे तब शायद समझ आएगा क्योंकि जब तक कोई बड़ी घटना घट न जाए तब तक हम आवाज़ नहीं उठाएगे और ये शायद इंडिया का कोई नया धर्म बन चुका है कि जब कोई बहुत बड़ी घटना घट जाए तब हम बोलेंगे इससे नुकसान हमारा ही है अगर अभी आवाज़ उठाई तो हर बच्चे का भविष्य संभल जाएगा और अगर अभी नहीं उठाई तो नंबरो के जाल में फंसे रह जाएगे….

By Bhumika Joshi 

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