घर है लेकिन लोग नहीं, खिड़कियां है पर निगाहें नहीं, आंगन है किंतु बच्चे नहीं, सड़के है...
गद्य
आज हम जिस दुनिया में रहते है वो दुनिया अपने साथ हजारों राज़ लेकर बैठी है. हममें...
इस दुनिया में कुछ भी स्थिर नहीं रहता,ना तो यह बादल ,ना ही नदियां,ना तो यह धरती...
सुलझी सी तो दिखती हैं, पर अंदर ही अंदर एक बहस हैं। चेहरे पे तो हस्य हैं,...
समाज का संस्कृति से घनिष्ठ सम्बन्ध है | समाज संस्कृति के बिना गूंगी है | संस्कृति किसी...
अक्सर देखा है कि बहुत से लोग नौकरी से रिटायर होते ही कुछ ऐसा मान लेते हैं...
इस संसार में प्रायः दो प्रकार के मानव पाये जाते हैं. पहले वे जो किसी भी बुरी...
सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हमारे क्रियाकलाप एक सुनिश्चित निर्धारित संरचना के अंतर्गत चलते...
बचपन से सुनते आ रहे हैं – “ मन के जीते जीत है, मन के हारे हार...
आज अलमारी साफ करते हुए नानी की मां को लिखी हुई चिट्ठी मेरे हाथ लगी। मै उसे...