राजस्थान के कुलधरा गाँव का इतिहास तथा रहस्य

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घर है लेकिन लोग नहीं, खिड़कियां है पर निगाहें नहीं, आंगन है किंतु बच्चे नहीं, सड़के है परंतु कोई राह नहीं… चारों ओर सिर्फ सन्नाटा छाया, खामोशी छाई! ये गांव हैं जो सदियों ये खाली है; ये है : कुलधरा..

राजस्थान के जैसलमेर से लगभग १८ किलोमीटर दूर स्तिथ यह गांव जो कभी हजारों परिवारों से निखरता था ,आज वह खंडहर बन रह गया है। जहां कभी बच्चों की खिलखिलाहट घूमती थी वहां अब किसी रूहानी ताकतों का कब्जा है। जो गांव कभी दिन रात हस्ता खेलता था वह एक ही रात में खामोश हो गया। 

पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार पर बना कुलधरा, पालीवाल के मेहनती और रईस ब्राह्मणों ने निर्माण किया था। कहा जाता है कुलधरा के साथ और ८४ गाओ का भी निर्माण हुआ था। वैज्ञानिक तरीकों से इसीलिए बोला गया है क्यों कि यहां के घरों के आकार कुछ इस तरह है की यहाँ के रह वासियों को कभी गर्मी का अनुभव नहीं होता था, घर कुछ इस तरह बनाए गए थे कि ठंडी हवा सीधे घर के अंदर आती और राजस्थान की तपती धूप होने के बावजूद वातावरण हमेशा वातानुकूलित बना रहता। घर के अंदर अद्भुत कुंड, कमाल की सीढ़ियां और ताक होने के बावजूद यहां कुछ ऐसा घटित हुआ जिसके कारण ये खुशहाल गांव वीरान ध्वंसावशेष में तबदील हो गया।  

हर सिक्के के दो पहलू होते है, कुछ इसी तरह एक तरफ जहां ये गांव इतना विकसित था वहीं दूसरी ओर था जैसलमेर का तत्कालीन अय्याश मंत्री दीवान सालम सिंह! जिसकी की गंदी नजर गांव के किसी पंडित की खूबसूरत बेटी पर पड़ी। वर्तमान के निवासियों का कहना है कि  दीवान पास ही के किसी तालाब पर आया-जाया करता था और ये लड़की गांव के मंदिर में पूजा के लिए जाती थी, और तभी इस मंत्री की नजर उस पर पड़ी और उसी समय कुलधरा को भी काली मनहूस नजर लग गई। फिर क्या था दीवान के मन में स्त्री मोह जाग उठा और उस लड़की को पाने कि तलप लग गई।। उसने गांववालों पर दबाव बनाना शुरू किया, अपना दहशत फैलाना चालू किया। पंडितों को आदेश भेज कर उस लड़की को अपनाने की कोशिश की और कहा कि अगर वह लड़की उसकी नहीं हुई तो वह पूरे गांव पर हमला कर सब कुछ तबाह कर देगा। गांव वाले असमंजस में पड़ गए,एक तरफ उन्हें अपना गांव बचाना था तो दूसरी ओर अपनी मासूम लड़की। मंदिर के पास सभी ८४ गाओ की सभा बुलाई गई और कुलधरा की उस बेटी और उसके परिवार के मान सम्मान बचाने का निर्णय हुआ; सभी ने फैसला लिया कि वे उस दीवान की तानाशाही का बहिष्कार करते हुए  गांव खाली कर देंगे!! निर्णय के अनुसार एक ही रात में पूरा कुलधरा खाली हो गया और गांव वाले जाते-जाते गांव को  यह श्राप दे गए की उस रात के बाद वहां कोई फिर बस नहीं पाएगा.. और एक ही रात्रि में आबाद कुलधरा तबाह हो गया। उस अंधेरी रैन में सारे निवासी कहा चले गए वह आज तक पता नहीं चला।

कहते है कि हर रहस्य अपने साथ सैकड़ों किस्से-कहानियां लाते है। उसी प्रकार कुलधरा के भी अगणित कथाएं है।। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सालों बाद कई परिवारों ने यहां बसने को कोशिश की परंतु श्राप के कारण हमेशा असफल रहे। कुछ लोगों का मानना है कि दीवान और उस लड़की की गाथा बिलकुल गलत और अंधश्रद्धा हो कर गांव सूखे के कारण खाली हो गया; पर जिस गांव की गिनती उस समय के सबसे विकसित और आधुनिक गांवों में होती थी भला वहां सूखा कैसे पड़ सकता है? राजस्थान सरकार की कुलधरा को पर्यटक स्थल में तबदील करने के बाद यहां काफ़ी चहल पहल बढ़ गई हैं, यहाँ घूमने आने वाले पर्यटकों ने अपने आस पास बहुत कुछ अजीब सा महसूस किया है।। वे कहते है कि उन्हें महिलाओं के कंगन और पायल की आवाज, बाज़ार में हल चल जैसे कई आहटों का अनुभव हुआ है और तो और इन सभी अमानवीय घटनाओं की पुष्टि वहां के स्थानीय लोगों ने भी की हैं। स्थानीय ये भी कहते है कि पालीवाल ब्राह्मणों ने गांव खाली करने से पहले अपनी सारी संपत्ति कुलधरा के जमीन में गाड़ दी थी और पर्यटक इसी धन की लालच और खोज में यहां आते हैं। कुलधरा के भयानक रहस्यों का खौफ इतना बढ़ने लगा जिसके कारण सरकार को गांव के मुख्य द्वार पर फाटक लगाना पड़ा । पर्यटक श्याम ६.३० के बाद गांव के अंदर नहीं जा सकते क्यों की ऐसी अफवाएं फैलाई गई थी कि रात के समय गांव में गया कोई भी इंसान आज तक घर वापस नहीं लौटा। 

२०१३ में एक पैरानॉर्मल टीम ने खोज के दौरान कुलधरा में एक रात गुजारी। टीम के सदस्यों ने ये जानकारी दी थी की उन्होंने वहां बहुत असाधारण चीजें महसूस किया । टीम के कुछ सदस्यों ने कहा कि  उन्हें हमेशा लगता की उनके कंधे पर किसी ने  हाथ रखा हो, पर जब वे मूड के देखते तो वहां कोई नहीं होता। टीम जब गांव घूम कर वापस आई तो उन्होंने देखा कि उनके गाड़ियों पर बच्चों के पंजों के निशान थे जब की उस वक्त गांव में  उनके अलावा कोई नहीं था। ऐसे कई रहस्यमय घटनाओं का अनुभव कुलधरा आने वाले पर्यटकों ने महसूस किया हैं। 

उस असित तम रजनी में ओझल हुए कुलधरा वासी, नाना प्रकार के सवाल पीछे छोड़ गए। कुलधरा, जो कभी पूर्णतः जनाकीर्ण था वह आज भग्नावशेष कैसे बन गया? क्या सच में गांव अकाल से त्रस्त था? या फिर लोग उस दीवान के अत्याचार सहन नहीं कर पाए? उस रात ऐसा क्या हुआ की लोगों को रातों रात सभी गांव खाली करके जाना पड़ा? कुलधरा में ऐसा क्या है कि वहां आज तक कोई भी फिर बस नहीं सखा? पर्यटकों को आने वाली आवाजें, वह आहट के पीछे क्या रहस्य हैं? क्या सच में यहां कोई सोना गड़ा हैं? क्यों की खुदाई के निशान अभी भी पाए जाते है। कहा गए सारे गांव वाले, क्या हुआ उनके साथ? क्यों उस रात के बाद किसी ने भी उन्हें कहीं देखा तक नहीं? ऐसे कई सवाल है जिनका कोई जवाब नहीं और अगर कोई जवाब था तो वह उन लोगों के साथ उसी भयानक रात में नदारद हो गया।। आज अगर कुलधरा को आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता हैं, तो यही कुलधरा अपने आप में एक बड़ा प्रश्न भी बन के रह गया हैं!!

By Akash Ambadas Pawar,Raigad district

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