याद आते हैं हमे भगवान ; जब भी आए हम पर कोई भी पीड़ा , क्या सच...
कविता
स्वागत सश्रद्ध सर्वोत्तम सावन प्रवाहित पुलकित पवन पावन कुहू-कुहू कोयल गीत सुनाती रोम-रोम रंग रस रुचिर बहाती...
सांसें क्यों इतनी सस्ती हुईं, ये बात समझ न आती है, चिंता क्यों इतनी हुई भारी, जो...
नाराज़गी मेरे ना मिलने से खफा हुए वो, जिनसे मुकम्मल कभी मुलाकात न हुई, मैं कहता रहा,...
क्या लोगों की चीख है लोकतंत्र, या सांसदों में गूंजती आवाज़ है लोकतंत्र? क्या गाँधी के पीछे...
हर लम्हें इंसानियत तोड़ रही है, दम यहाँ कभी चीखती लड़कियों की आवाज़ दब जाती है यहाँ,...
था संकट में सारा जहां | ना समझ आ रहा था कि जाए कहां || मचा हुआ...
देखो कैसे फिर छले गये, जो सोते सोते चले गये, न नींद मिली,न पेट भरा, भूखे,प्यासे ही...
इस लाक डाउन ने सीमितता में , जीवन जीना सिखा दिया, इस लाक डाउन ने लोगों को...
एक अरसे बाद लौटे हैं इन गलियों में, कोई आहट तो यहां आज भी है कुछ अनकहे...