आज हम ईक्कीस वी सदी मे जी रहे है |...
'मन ओ मौसुमी'
''मन ओ मौसुमी', यह हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए, भावनाओं को व्यक्त करने और अनुभव करने का एक मंच है। जहाँ तक यह, अन्य भावनाओं को नुकसान नहीं पहुँचा रहा है, इस मंच में योगदान देने के लिए सभी का स्वागत है। आइए "शब्द" साझा करके दुनिया को रहने के लिए बेहतर स्थान बनाएं।हम उन सभी का स्वागत करते हैं जो लिखना, पढ़ना पसंद करते हैं।
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नया सवेरा नयी है आशा , अब ना होगी कोई निराशा। ये दुःख है कुछ क्षणों का...
क्यों है हम निर्दय इतने ?कैसे बन गए हम इतने निर्लज्ज ?लेते है जान बेजुबान पशु पक्षियों...
चलेगी गोली, खून बहेगा.. क्रांति ऐसे थोड़ी आएगी! हर फिरंगी का शीश कटेगा – आज़ादी की कीमत...
तलब होनी चाहिए कामयाबी की, नही तो ख्वाईशो की इमारत ढह जाती है, वह जुनून होना चाहिए...
मांगता हैं तू धनदे देते है ,वो अपनी औलाद तुझेफिर भी ना आई शर्म तुझेआंखो में बेशर्मी...
मां ,अभी तेरे कोख में हूंडर सा लग रहा है मुझेमार ना दे यह संसार वाले कहींमां...
डायरी अर्थात जीवन से जुड़ी हुई एक छोटी सी खाते , जहा हरेक ब्यक्ति अपने जीवन के ...
हालाँकि, दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है जो बहुत अच्छा या बहुत प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध होने के...
तेरे घर को आया, सवेरे सवेरे, गजब का सुकूं था ,,, सवेरे सवेरे, उसे आजमाना था बस...