अंतरतम तक भींज उठे,तुम रंग ऐसा बरसा दो,कान्हां रंग ऐसा बरसा दो,
नाच उठे तन,मन मयूर सा,भंग ऐसा बरसा दो कान्हां भंग ऐसा बरसा दो।।
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रंगों सी हिल मिल जाऊं मैं,ऐसा सरल बना दो कान्हा,ऐसा सरल बना दो,
जल सी निर्मल,कल कल बहती,
ऐसा तरल बनादो कान्हां ,ऐसा तरल बना दो।।
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चगन मगन मैं रहूं संग संग,ऐसी लगन लगा दो कान्हां, ऐसी लगन लगा दो,
चरण शरण नित रहूं तिहारे ऐसी अगन लगा दो कान्हां, ऐसी अगन लगा दो।।.
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चलूं सत्य की राह हमेशा,ऐसी डगर बता दो कान्हां, ऐसी डगर बता दो,
रंग रंगीले हर मुखड़ें हों ,ऐसी सहर जगा दो कान्हां, ऐसी सहर जगा दो।।
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लग जाए तो कभी न छूटे,रंग ऐसा लगवा दो कान्हां रंग ऐसा लगवा दो,
संग साथ फिरकभी न टूटे, बंध ऐसा बंधवा दो कान्हां, बंध ऐसा बंधवा दो।।
मधुरंजन
ज्ञानोदय विद्यालय परिसर रीवा
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