मां ,अभी तेरे कोख में हूं
डर सा लग रहा है मुझे
मार ना दे यह संसार वाले कहीं
मां , मैं तेरी उंगली पकड़ कर
चलना चाहती हूं मां
तेरे गोद में खेलना चाहती हूं मां
मां तेरे लिए मैं कुछ करना चाहती हूं मां
मां- पापा के कंधो में पर बैठ कर
यह संसार देखना चाहती हूं मां।
मां तेज चल रही ,सांसे तेरी
धक – धक कर रहा है ,दिल मेरा
जन्म से पहले ही डर सा लग रहा है,
मां तेरी कोख में मार ना दे यह लोग
यही सोचकर लग रहा डर मुझे
क्युकी मासूम सा दिल है मेरा
छोटी – सी मुस्कान है,मेरी
तेज धड़क रहा है दिल मेरा
मां मुझे जन्म तो लेने दे। साह(स्वरचित
काजल साह