पुरातन काल से ही काशी का महत्व बड़ा रहा है सांस्कृतिक हो या धार्मिक हर स्तर पर काशी भारतवर्ष की शिरमोहर रही है। बाबा विश्वनाथ की नगरी संपूर्ण सनातन संस्कृति की अदभुत धरोहर है। 13 दिसंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा भव्य काशी विश्वनाथ कोरिडोर का उदघाटन किया गया। आपको बताते चले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद काशी के सांसद भी है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही काशी का विकास प्रधानमंत्री की प्रथम प्राथमिकता थी। अहिल्या बाई होल्कर के बाद काशी विश्वनाथ का कायाकल्प कभी नहीं हुआ था। भारत की सांस्कृतिक राजधानी अपने विकास के मॉडल पर काफी पीछे जा चुकी थी परंतु अब जब नये काशी के रूप में बाबा का धाम तैयार हो चुका है तो अब न सिर्फ काशी के लोग अपितु संपूर्ण सनातन प्रेमियों के लिए अदभुत काशी का दर्शन करना और मनमोहक हो गया है। अब जब चुनाव के वक्त इसका उद्घाटन हो चुका है तो राजनीति भी होना जायज है। बीजेपी जहां इसे काशी मॉडल बता कर पूर्वांचल सहित पूरा उत्तर प्रदेश को साधने का प्रयास कर रही है वही पूरा विपक्ष इसे चुनावी छलावा करार दे रहे है। आपको बताते चले की पूर्वांचल में कुल सीट का लगभग एक तिहाई इसी इलाके से आता है और भाजपा पूरी ताकत के साथ पूर्वांचल फतह की तैयारी कर रही है। इस समय मुख्य विपक्षी दल के रूप में समाजवादी पार्टी पूरी ताकत के साथ इस इलाके की तमाम छोटी छोटी जाति आधारित पार्टियों के सहारे अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है। हालिया कुछ दिनों में पूर्वांचल में सियासी जमीन बीजेपी के लिए सही नहीं लग रही थी लेकिन काशी विश्वनाथ कोरिडोर और कुछ दिनों में माँ विंध्यवासिनी कोरिडोर जब बन कर तैयार हो जायेगा तो कहीं न कहीं इसका सियासी फायदा बीजेपी को मिलेगा जिससे बीजेपी भुनानेका पूरा प्रयास करेगी।
आयुष राज (आरा, बिहार)
( मीडिया छात्र,)
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