हिंदी दिवस

By Pawan Kumar

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हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है । सबसे पहले 14 सितंबर , 1953 को हिंदी दिवस मनाया गया था ।  इस दिवस का पहला उद्देश्य यही है कि लोगों को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक किया जाए । इस दिवस पर बहुत सारे लोग सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हैं , लेकिन वह यह कैसे भूल जाते हैं कि हिंदी केवल हमारी भाषा ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति , हमारी सभ्यता , हमारी पहचान है , इसलिए केवल हिंदी दिवस पर ही  हिंदी नहीं बोलना चाहिए , बल्कि हमें अपनी बोलचाल की भाषा में भी हिंदी भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए , तभी हिंदी भाषा का विकास और हिंदी दिवस का सम्मान हो पाएगा । 

आज हिंदी भाषा पूरे विश्व में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली  भाषा है , लेकिन आज इस नए युग में हमारा समाज हिंदी नहीं अंग्रेजी बोलना पसंद करता हैं । आज हर जगह अंग्रेजी सिखाने वाले संस्थाएं खुल चुके है , विद्यालय में अंग्रेजी भाषा की किताबें भी आने लगी है और आज हिंदी भाषा का अस्तित्व खतरे में पहुंच गया है । 

जिस भारत देश की मुख्य भाषा ही हिंदी है , उसी भारत के नागरिक हिंदी बोलने में संकोच करते हैं , हिचकिचाते हैं । उन्हें लगता है कि हिंदी बोलने से उनकी प्रतिष्ठा कम हो जाएगी , लेकिन वो यह नहीं जानते कि भारत की पहचान भी कहीं होती है तो हिंदी भाषा से ही होती है । इसीलिए तो कहते हैं:-
 

मान नहीं कर सकते तो मत करो अपमान 
हिंदी से ही सदा रहेगी भारत की पहचान 

हिंदी भाषा का मूल संस्कृत भाषा है । हिंदी भाषा अंग्रेजी भाषा की शब्दावली समृद्ध करने में अहम भूमिका निभाई है । हिंदी भाषा की जड़ें बहुत गहरी हैं । मुंशी प्रेमचंद्र , भगवती चरण वर्मा , हरिवंश राय बच्चन , सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” , महादेवी वर्मा रामधारी सिंह “दिनकर” , कालिदास आदि बड़े साहित्यकार हिंदी भाषा को केवल  एक दिशा ही नहीं दी बल्कि पूरे विश्व में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम की भावना भी जागृत की..!
उसी प्रेम की भावना मैं व्यक्त कर रहा हूं:- 

तुलसी की  रामायण है हिंदी,
 कबीर का गायन है हिंदी.!
 सरल शब्दों में कहा जाए तो, 
जीवन की परिभाषा है हिंदी ..!

हिंदी केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।
एक सर्वे के अनुसार जब एक हिंदी साहित्यकार एक विद्यालय की कक्षा सात में पहुंचे तो उन्होंने अपने छात्रों को हिंदी के कुछ शब्द लिखने को कहा जिससे विद्यार्थियों का हिंदी के प्रति रुचि के बारे में पता चल सके , जब उन्होंने कॉपी को चेक किया तब 77 विद्यार्थियों के जवाब गलत थे , जबकि कुछ ही विद्यार्थी हिंदी शब्द को सही तरीके से लिख पाए थे । यह हमारे अपने भारत देश की हालत है । आज तमाम विद्यालयों में अंग्रेजी भाषा को मूल माना जाता है , तमाम विद्यालयों में अंग्रेजी अलग से पढ़ाई जाती है लेकिन हिंदी को हल्के में लिया जाता है । विद्यार्थी हिंदी को हल्के में ले लेते हैं जिसके कारण जब परीक्षा में बैठते हैं तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि हिंदी वर्तनी इतनी आसान नहीं है‌।

यह सही है कि बहुत सारे कार्य अंग्रेजी भाषा के द्वारा होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम केवल अंग्रेजी भाषा को ही महत्व दें और अपनी मातृभाषा को भूल जाए । जिस भाषा को हमने अपने बचपन से सीखा है उस भाषा को जीवित रखना हमारा कर्तव्य है ।
एक बात सही कहीं गई है:-
 हिंदी दिवस के दिन ही सभी को हिन्दी लगता प्यारा
बाकी के दिन अंग्रेजी बिन होता ना गुजारा
 एक बात और हमेशा याद रखनी चाहिए कि जब हम अपनी मातृभाषा को बोलते हैं तो केवल हम अपनी संस्कृति से ही जुड़े नहीं रहते बल्कि यह एक दूसरे की विचारों को व्यक्त करने का जरिया भी है।
कहते हैं:-
“हिंदी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है,
 यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है”
 
         हिंदी केवल भाषा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति है और इसे बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है, चाहे हम अंग्रेजी कितना भी बोल दे, हमारी पहचान हिंदी से ही होगी।
हिंदी मात्र एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। आइये हम हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हमारे देश भारत की पहचान हिंदी भाषा पर कभी भी आंच नहीं आने देंगे  एवं अपने दैनिक व्यवहार में हिंदी का उपयोग कर इसके गौरव को बढ़ायेगें।


 ” हिंदी है भारत की आशा ,
 हिंदी ही है भारत की भाषा “

By Pawan Kumar , Bihar

   

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