चलेगी गोली, खून बहेगा..
क्रांति ऐसे थोड़ी आएगी!
हर फिरंगी का शीश कटेगा –
आज़ादी की कीमत तो थोड़ी आएगी!
हर घर से लक्ष्मीबाई –
तात्या टोपे तो देने होंगे!
बलिदान के लिए सब तत्पर रहना –
दुश्मन बिन हथियार थोड़ी आएंगे!
गांधी नाम का एक बूढ़ा होगा
सत्य अहिंसा संग बैठा होगा
आज़ादी का जो सपना देखे –
वो उससे मिलने थोड़ी जाएंगे!
भीड़ तो थी भाई चंपारण मे –
‘सत्याग्रह’ मे दम तो था!
सौ रुपया रिहाई का – मना कर दिया!
खाली हाथ थोड़ी आया होगा!
एक आश्रम खोला है –
मैला खुद ही वहा पर ढोता है!
ऊँच – नीच, जात बिरादरी-
से ऊपर उठकर थोड़ी आया होगा!
नेहरू, पटेल, बोस, मौलाना
सबका सर्वमान्य वो नेता है
साहस तो पहाड़ जितना –
पर कद में थोड़ा छोटा है!
नमक बनाकर साबरमती मे –
गुरूर क्राउन का तोड़ा है !
नंगे पाव चल नोआखाली मे
कितने दिलों को जोड़ा है |
आजाद भगत बिस्मिल ने
सोए देश को जगाया था!
गांधी ही था वो एक जिसने
उंगली थाम चलाया था |
जिन्ना से हाँ ‘हारा’ है वो!
‘भीम’ का दिल तो जीता है-
गोडसे’ ने हाँ मारा उसको
पर देश की रूह में जिंदा है |
तुम जात धर्म करते रहे –
वो ‘सब’ के साथ खड़ा रहा!
तुम ज़मीन ज़मीन करते रहे
वो दिल के घाव भरता गया |
विचारो की लड़ाई मे –
कब वो बूढ़ा हारा था?
तुम बंदूक तान खड़े हो गए!
फिरभी क्या वो थोड़ा भी घबराया था?
धर्म विरोधी कह्ते हो उसको
जिसके अंतिम शब्द मे भी राम थे!
गोली की पडी जरूरत तुमको
क्यूंकि विचार ‘तुम्हारे’ आम थे |
तुम क्या सोचे मर गया वो?
गांधी एक ‘चिरस्थायी विचार’ है!
अफ्रीका मे ‘मंडेला’ है वो
अमरिका मे ‘राजा’ है |
रामलीला मे अन्ना था वो –
शाहीन बाग मे बैठा था |
किसानो की आवाज बनने –
कबसे वो व्याकुल बैठा था!
सत्य अहिंसा पे चलते रहना
हथियार तुम उठाना मत!
गांधी तुम्हारे संग चलेंगे
तनिक भी घबराना मत!
जहां जहां भी नीति दमन की
‘अंग्रेज’ बनके आएंगी –
खड़ा हो जाएगा फिर कोई गांधी!
‘आजादी’ बिन बलिदान ही आएगी |
By अमन श्रीवास्तव