नया सवेरा नयी है आशा , अब ना होगी कोई निराशा। ये दुःख है कुछ क्षणों का...
कविता
क्यों है हम निर्दय इतने ?कैसे बन गए हम इतने निर्लज्ज ?लेते है जान बेजुबान पशु पक्षियों...
चलेगी गोली, खून बहेगा.. क्रांति ऐसे थोड़ी आएगी! हर फिरंगी का शीश कटेगा – आज़ादी की कीमत...
तलब होनी चाहिए कामयाबी की, नही तो ख्वाईशो की इमारत ढह जाती है, वह जुनून होना चाहिए...
मांगता हैं तू धनदे देते है ,वो अपनी औलाद तुझेफिर भी ना आई शर्म तुझेआंखो में बेशर्मी...
मां ,अभी तेरे कोख में हूंडर सा लग रहा है मुझेमार ना दे यह संसार वाले कहींमां...
तेरे घर को आया, सवेरे सवेरे, गजब का सुकूं था ,,, सवेरे सवेरे, उसे आजमाना था बस...
आँखें न बहुत कुछ कहती हैं कोई सुने तो सही ये इशारे बहुत कुछ बोलते हैं कोई...
यह नहीं हो पाएगा तुझसेयह कहकर मत रोको ना मुझेमत कर ऐसा ,कुछ नहीं हो पाएगा तुझसेयह...
हे ईश्वर चाहिए मुझे एक राह नई, पाई है मैंने एक चाह नई. चाहती हूँ दुनिया में...