समाज का संस्कृति से घनिष्ठ सम्बन्ध है | समाज संस्कृति के बिना गूंगी है | संस्कृति किसी भी समाज की धरोहर होती है | यह ज्ञातव्य है की इस धरोहर की छाया साहित्य में हमेशा रहती है | साहित्य में वही लिखा जाता है जो समाज में घटित होता है | समाज की सारी गतिविधियाँ साहित्य के पन्नों में कालजयी बनी रहती है | इतिहास के सहारे हम किसी भी समाज की संस्कृति को समझ एवं जान सकते है | हर समाज की अपनी मौलिक संस्कृति रहती है | भारतीय समाज की अपनी संस्कृति के कारण वह अनेकता में एकता का देश कहलाता है | समाज और साहित्य का सम्बन्ध अपरिहार्य है |
किसी भी देश का समाज वहां के लोगों द्वारा निर्मित होता है | लोगों की गतिविधियां ही साहित्य को जन्म देती है |इतिहास के द्वारा हम अपने समाज के प्राचीन काल की हर स्थिति को समझ सकते है | हर साहित्य के पन्नों में एक काला पन्ना जरूर जुड़ा होता है जो समाज की दुर्दशा को व्यक्त करता है | साहित्य के माध्यम से हम उस काल के गुण-दोष की व्याख्या कर सकते है | आदिकाल से लेकर वर्तमान का परिपेक्ष्य में देखे तो नारी की शिक्षा के प्रति हमेशा उपेक्षित व्यवहार क्यों रहा है ? इस पुरुष प्रधान समाज में स्त्री को शिक्षा का अधिकार क्यों नहीं है ? नारी क्या समाज का अंग नहीं है ? किसी भी राष्ट्रीय की चेतना उसके साहित्य में प्रतिबिंबित रहती है | हर युग में नारी की शिक्षा क्यों उपेक्षित रही है ?
“ शिक्षा किसी की धरोहर नहीं
इसपर सबका समान अधिकार क्यों नहीं ?
क्यों नारी ही रहे उपेक्षित
हर युग की वाणी गाये ये गीत ”
शिक्षा किसी की पैतृक संपत्ति नहीं , इसपर सबका समान अधिकार है | नारी की उन्नति से ही समाज की उन्नति जुडी हुई है |
ब्रिघन यंग ने कहा है :
“आप एक आदमी को शिक्षित करते है तो आप एक आदमी को शिक्षित करते है
और अगर आप एक औरत को शिक्षित करते है तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते है क्यों की महिलाएं समाज की वास्तविक वास्तुकार होती है ”
बदलते परिवेश में आज के इस युग में नारी की शिक्षा पर अधिक जोर दिया गया है | इसे हम समाज की मानसिकता में बदलाव कह सकते है | सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों ने अनेक कार्य शुरू किये है जिससे नारी का सर्वांगीण विकास हुआ है | इनमें से मैं एक ऐसी संस्था का जिक्र करना चाहूंगी जिसने न सिर्फ मुझे बल्कि मेरे जैसे कई और लड़कियों की मानसिक चेतना एवं आत्म विश्वास का विस्तार किया है | मैं बात करना चाहती हूँ एक ऐसे संस्था की जो नारी सशक्तिकरण का पर्याय है | इस संस्थान का नाम निर्मला महाविद्यालय है जो झारखण्ड स्थित रांची नगर में है | इसकी स्थापना सन् १९६९ में सोसाइटी ऑफ़ चैरिटी ऑफ़ जीसस एंड मैरी द्वारा की गयी है | निर्मला महाविद्यालय रांची विश्वविद्यालय के अधीन है | ये अपना कार्य स्वतः नियंत्रित करता है | ये महाविद्यालय विशेषकर उन आदिवासी छात्राओं के लिए है जिनके पास शिक्षा के लिए सुविधा नहीं है| उनको शिक्षा के साथ छात्रवृति प्रदान की जाती है | इस महाविद्यालय में केवल छात्राओं का नामांकन होता है| यहाँ उन छात्राओं की रहने की व्यवस्था भी की जाती है जो आर्थिक रूप से असमर्थ होते है | शिक्षा एक ऐसी प्रकिया है जो निरंतर चलती रहती है| औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों रूप में हम शिक्षा ग्रहण करता है| औपचारिक रूप में जैसे स्कूल महाविद्यालय आदि से हम व्यवस्थित रूप से शिक्षा ग्रहण करते है| अनौपचारिक रूप से हम समाज परिवार आदि से | व्यक्ति की उन्नति के लिया दोनों ज्ञान की आवश्यकता होती है | इस महाविद्यालय में व्यवहारिक शिक्षा पर बल दिया जाता है|
निर्मला महाविद्यालय का अपना गौरवमय इतिहास रहा है | इस महाविद्यालय ने छोटे स्तर से अपने कार्य की शुरूवात की थी| समय के साथ कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था | इस संस्थान का प्रमुख उद्देश्य आदिवासी महिलाओं को शिक्षा का प्रति जागरूक करना तथा उनका सर्वांगीण विकास करते हुए उनका योगदान समाज की मुख्य धारा में होता रहे |
निर्मला महाविद्यालय में सपनों को बुना एवं गढ़ा जाता है | धीरे-धीरे समय के साथ इस विद्यालय में अनेक विषयों की पढाई की व्यवस्था आरम्भ हुई जो निम्नलिखित है :
| कोर्स | विषय |
| इंटरमीडिएट | कला विज्ञान |
| स्नातक | बी.ए – हिंदी , इंग्लिश , हिस्टरी , इकोनॉमिक्स, मनोविज्ञान , पोलटिकल साइंस |
| बी.एससी ,जीव-विज्ञान , बॉटनी , जन्तु-विज्ञान , रसायन-शास्त्र , भौतिकी , गणित , सूचना प्रद्योगिकी | |
| बी.कॉम | |
| बी.बी.ए | |
| वोकेशनल कोर्स , डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग | |
| स्नातकोत्तर | हिंदी , इंग्लिश , हिस्टरी , इकोनॉमिक्स, मनोविज्ञान , पोलटिकल साइंस |
इस विद्यालय को N.A.A.C द्वारा ‘बी’ ग्रेड मिला है | २०१६ में U.G.C द्वारा सम्मानित किया गया है | यहाँ अधिकतर महिलाएं शिक्षिकाएँ होती है | इस कॉलेज में I.C.T की सुविधा है | WIFI युक्त कैंपस है | जो छात्राएँ विषय में कमज़ोर होती है उनके लिए उपचार कक्षाएँ होती है | ओरिएंटेशन कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है | विभिन्न विषयों के लिए सेमिनार का भी आयोजन किया जाता है | N.S.S एक्टिविटीज भी आयोजित किये जाते है | कक्षा में ९० फीसदी की उपस्थिति अनिवार्य है | युवा दिवस भी मनाया जाता है | पाठ्यक्रम के साथ सह-पाठ्यक्रम की गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है | महाविद्यालय के स्तर पर भी विभिन्न कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है | राष्ट्रीय सेमिनार का भी आयोजन किया जाता है | यह महाविद्यालय I.I.T एवं T.I.S.S जैसे संस्थानों से जुड़ा है | दिव्यांग छात्राओं के लिए रैंप सीढ़ी की भी व्यवस्था है | जिस प्रकार कुम्हार साधारण मिट्टी को घड़ा का रूप देकर उपयोगी बनता है उसी प्रकार ये महाविद्यालय छात्राओं के जीवन को उपयोगी एवं सार्थक बनता है |
शिक्षा का मूल उद्देश्य होता है प्रबल चरित्र का निर्माण करना | इस महाविद्यालय ने रूढ़िवादी परंपरा का परित्याग कर नवीन विचारों एवं अवधारणा का निर्माण किया है | नारी शक्ति की चेतना को प्रबल बनाना ताकि वह इस समाज में आत्मनिर्भरता के साथ जी सके | वह पुरुष वर्ग का साथ कंधा से कंधा मिला कर चल सके | निर्मला महाविद्यालय का उद्देश्य समाज में पल रहे अंधविश्वास और अंधकार को मुंह-तोड़ जवाब देना है |
“ इस पवित्र पवन ज्ञान के मंदिर को शत-शत मेरा नमन
जहाँ बहती ज्ञान की गंगा , जहाँ होता उत्थान हमारे विचारों का
बनती और बढती हमारे सोच की निरंतर धारा
सफल है मेरा जीवन इस ज्ञान के मंदिर में
मिली है मुझे जीवन की नयी पहचान इसके आँचल में | ”
By Priyanka Bharti, Ramgarh