सरहद पर बैठे एक सिपाही की भावना जो बह रही उस हवा से (जो सरहद, दो सरह दों के बीच बह रही है।) उससे व्यक्त कर रहा है।
ऐ हवा !
यह बता क्या बदलाव आया तुझमें,
ऐ हवा, यह बता क्या बदलाव आया तुझमें,
उस सरहद से, इस सरहद तक आने में,
ऐ हवा !
तू क्यो नहीं समझाती इस दुनिया को,
ऐ हवा, तू क्यों नहीं समझाती इस दुनिया को,
जिस तरह तू वहां बह रही थी, उस तरह तू यहां भी बह रही है,
जिस तरह तू वहां सुकून दे रही थी, उस तरह तू यहां भी सुकून दे रही है,
तो अब तू ही बता क्या बदलाव आया तुझमें।
ऐ हवा !
माना मैंने की बहते-बहते तू उस सरहद की मिट्टी इस सरहद तक ले आई ,
लेकिन, इसमें गलत क्या है ,
जानता हूं मैं, मानता हूं मैं , कि तू भी दो सरहदों की मिट्टी को फिर एक करना चाहती है,
क्योंकि, तू भी शान्ति चाहती है, मैं भी शान्ति चाहता हूं, और वहां इंतजार में बैठा मेरा परिवार भी शान्ति चाहता है।
ऐ हवा !
मैं शिकायत नहीं कर रहा, ना ही मैं अपने कर्त्तव्य से पीछे हट रहा हूं,
याद है मुझे, आज भी अपना वायदा, जो किया था अपनी मां से , अपनी मातृभूमि से,
चाहे आंधी-तूफान हो या चक्रवात हो, डटकर खड़ा रहूंगा, अपने देश के लिए।
लेकिन ऐ हवा !
मैं फिर भी, और अभी भी शान्ति चाहता हूं,
इस सरहद और उस सरहद,
उन सभी के लिए जिनका परिवार कोसों दूर उनका इंतजार कर रहा है,
उस हर सिपाही के लिए जिसकी मां हर युद्ध के बाद बस अपने बेटे से फिर मां सुनना चाहती है,
हर उस सिपाही के लिए जिसका पिता बतलाता नहीं, लेकिन फिर अपने बेटे को देखना चाहता है, और हर बार एक नज़र दरवाजे पर डाल ही देता है,
हर उस बहन के लिए जिसकी राखी सरहद पर बैठे अपने भाई की कलाई ढूंढ़ती हैं,
हर उस भाई के लिए जो अपने भाई को जी भर कर गले लगाना चाहता है,
मैं उनके लिए शान्ति चाहता हूं।
ऐ हवा !
मेरा यह पैग़ाम पहुंचा दे हर उस इंसान के पास
इस सरहद भी और उस सरहद भी कि सरहद पर बैठा, वो सिपाही तुमसे शान्ति कि गुहार कर रहा है।
ऐ हवा !
उन्हें बता दें, कि लहू का लाल रंग दूसरी सरहद पर ही नहीं, उनकी सरहद पर भी बहता है।
ऐ हवा !
उनसे पूछ की, जब उस सरहद से इस सरहद तक आने में तू नहीं बदलती तो वो क्यो बदलते हैं।
ऐ हवा !
अब तू ही जा दोनों सरहद, उन्हें यह सब बता और पूछ इन बुद्धिजीवियों से , क्योंकि उस सरहद मैं जा नहीं सकता और इस सरहद क्या पता, यह सब बताने तक मैं रहूं या ना रहूं।।
माधवी बघेल , बी-टेक , सिविल इंजीनियरिंग ,तृतीय वर्ष की छात्रा , कविता लिखना शौक है।
She is the THIRD PRIZE WINNER (POEM Category), of Quaterly Creative Writing Competition (OCT_DEC,2018)
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