बेटा हुआ तो बात दी मिठाई
बचपन से ही उसके सर जिम्मेदारियां आई
उम्मीदों के बोझ तले दबता गया
वो फिर भी सभी के आगे हस्ता गया
वो पाठशाला पोहोचे तो डिवीजन की उम्मीद
खेलने पोहोचा तो पदक की उम्मीद
जैसे तैसे निपटी बारहवी की पढ़ाई
बारहवी की डिविजन किसी को ना भाई
मानो जैसे थी अब सभी को उससे कमाई की उम्मीद
पर बेटे को थी एक डिग्री की उम्मीद
दब गया बिचारा उम्मीदों के तले
बिना डिग्री के अब घर कैसे चले
लगाया दिमाग जामा लिया धंधा
बन गए आपने बाप का मजबूत कंधा
टूट गए कुछ अरमान आपने पीछे रहे गए
बहुत से सपने कमाई करके की बहन की विधाई
उसमे मानो कर्जा लेने की नौबत आई
जैसे तैसे करके कर्जा मुक्त हुए
फिर खुद शादी के बंधन में संयुंक्त हुए
कुछ साल बाद एक खबर आई
बेटा हुआ बात दी मिठाई
By Chetan Dudeja