हम सोते है जो सुकून से घर पर,
वो बहाते आपना लहू है सरहद पर
बैठी जिसकी माँ इंतज़ार मे होगी आयेगा बेटा घर वापस,
कैसे बताए उस मां को कि बेटा हुआ शहीद सरहद पर
अब किसे वो बैठाकर खाना खिलाएगी।
किसको आचल में सुलाएगी।
क्या बीती होगी उस पिता पर
जिसने भेजा था गर्व से बेटे को सरहद पर
सोचा था देश को विजय दिला कर आएगा
आज देश का झंडा फेराए कह रहा वही पिता
अब भेजूंगा छोटे बेटे को भी सरहद पर
लूंगा बदला उन आतंकवादियों से
जिन्होंने छीना है बेटे को मुझसे
क्या कहे उन नन्हें बच्चो को
जो कर रहे अपने पिता का इंतज़ार
पूछ रहे उस मां से पिताजी कब लौटेंगे लेकर उपहार
उस पत्नी का भी होगा बुरा हाल
निभाना है अब उसे माता का ही नहीं पिता का भी रिश्ता
संभालना है उसको अब सब कुछ बिना पति का साथ
लेकर माता का आशीर्वाद
चला एक और जवान सरहद पर
खाकर भारत माता की कसम
कि रखेगे उन आतंगवादियों का सर उनके कदमो में
जिस पर बहा है हज़ारो जवानो का रक्त ।
By Himani Tyagi, Seemadwar , Dehradun